-छेड़खानी के आरोपी प्रोफेसर को बर्खास्त करने की मांग लेकर छात्र-छात्राओं का सिंह द्वार पर धरना प्रदर्शन

बीएचयू कैंपस एक बार फिर गर्मा गया। शनिवार को विज्ञान संस्थान के जंतु विज्ञान विभाग के छेड़खानी के आरोपी प्रो। एसके चौबे को बर्खास्त करने की मांग को लेकर छात्र-छात्राएं मेन गेट पर धरने पर बैठ गयीं। उनकी मांग थी कि लिखित रूप से कारवाई का आश्वासन दिया जाए। साथ ही आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई करते हुए बीएचयू से बाहर किया जाए। प्रस्तावित महिला उत्पीड़न सेल की स्थापना की भी मांग स्टूडेंट्स कर रहे हैं। छात्राएं देर शाम तक धरने पर बैठी रहीं।

फोर्स रही मौजूद

प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं ने कहा कि वीसी मौके पर आयें। इस मामले में तत्काल लिखित कार्रवाई की जाये। बीएचयू के जुड़े अधिकारियों का कहना है कि मामले को तूल देने की कोशिश की जा रही है। जिसमे यहां के छात्र छात्राएं वर्तमान में नही हैं। एहतियातन बीएचयू गेट पर कई थानों की फोर्स मौजूद है।

यह था मामला

वर्ष 2018 में जंतु विज्ञान विभाग का शैक्षणिक टूर पूरी गया था जहां पर 17 छात्राओं ने प्रोफेसर एसके चौबे पर अश्लील हरकत करने का आरोप लगाया था। टूर से लौटने के तुरंत बाद ही छात्राओं ने वीसी से शिकायत की थी। इस मामले में आंतरिक जांच कमेटी ने रिपोर्ट दिया इसके आधार पर छात्र-छात्राओं कर्मचारियों व शिक्षकों से पूछताछ हुई। 40 दिन के पूछताछ के बाद कमेटी ने वीसी को रिपोर्ट सौंप दी थी। यह मामला बीएचयू के कार्यकारिणी समिति में भी गया था। बीएचयू वीसी प्रोफेसर राकेश भटनागर ने प्रोफेसर एसके चौबे को भविष्य में किसी भी प्रशासनिक पद पर नहीं रहने के आदेश के साथ उन्हें जुलाई में फिर से ज्वाइन कराया। इसी मामले को लेकर छात्र छात्राओं ने आक्रोशित होकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।

बीएचयू के प्रवक्ता डॉ राजेश सिंह का कहना है कि बीएचयू विज्ञान संस्थान के जन्तु विज्ञान विभाग के प्रो शैल कुमार चौबे पर इन्क्वायरी कमेटी की रिकमण्डेशन के आधार पर 7 जून 2019 को सम्पन्न कार्यकारिणी परिषद की बैठक में मेजर पेनाल्टी लगायी गयी है। उन्हे दोषी और अपराधी ठहराया गया है। इसके आधार पर उन्हे भविष्य में विश्वविद्यालय में कोई महत्वपूर्ण प्रशासनिक दायित्व नही दिया जायेगा। चौबे के ऊपर विश्वविद्यालय ने सख्त कार्रवाई की है लेकिन छात्र अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। वहीं, बीएचयू एसएस हॉस्पिटल के इमरजेंसी के सामने छात्र धरने पर बैठ गये। छात्रों का आरोप था कि डॉक्टर्स इलाज के नाम पर दौड़ाते हैं। साथ ही हॉस्पिटल में तमाम दु‌र्व्यवस्थाएं व्याप्त हैं।