- ना तो रिजल्ट ही दे पाई और ना ही मार्कशीट्स

- मंडे को भी स्टूडेंट्स ने कुलपति को दिया ज्ञापन

- एजेंसी पर नहीं हो रहा काम, स्टूडेंट्स लगा रहे चक्कर

AGRA। आखिर यूनिवर्सिटी और एजेंसी में से किसको दोष दें? यूनिवर्सिटी एजेंसी पर आरोप लगा रही है तो एजेंसी का कहना है कि उसे पहले ही दिन से यूनिवर्सिटी से कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा है। अपनी असफलता का ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ा जा रहा है, दोनों की खींचातानी में नुकसान छात्रों को उठाना पड़ रहा है।

ख्009 में आई थी यह एजेंसी

यूनिवर्सिटी ने अपना काम कराने के लिए ख्009 में माइंडलॉजिक नाम की एजेंसी को काम का ठेका दिया था। एजेंसी को यूनिवर्सिटी के लिए सारे जरूरी काम करने थे। सन ख्009 से ही एजेंसी की असफलता सामने आ रही थी।

हर रिजल्ट में हुई देर

इस एजेंसी के पास जिस दिन से काम आया है, उसी साल से रिजल्ट में कोई ना कोई दिक्कत जरूर आई है। पहले तीन सालों के रिजल्ट तो एजेंसी ने किसी तरह निकाल दिए लेकिन मार्कशीट की गलतियों को ठीक नहीं कर पाई। आज भी मार्कशीट के लिए विश्वविद्यालय में ऐसे छात्र घूम रहे हैं जिन्हें पास आउट हुए दो साल से ऊपर हो चुके हैं।

दो सालों के नहीं निकले हैं रिजल्ट

एजेंसी ने यहां काम स्टार्ट कराने के लिए पहले तीन साल तक तो रिजल्ट निकाल दिये लेकिन ख्0क्ख् और ख्0क्फ् के रिजल्ट आज तक नहीं निकाल पाई। एजेंसी ने अभी तक सिर्फ बीए, बीकॉम और बीएससी के रिजल्ट निकाले हैं। लेकिन अभी भी एमकॉम ,एमएड के रिजल्ट फंसे हुए हैं।

अभी तक नहीं भर पाए फार्म

रिजल्ट और मार्कशीट के अलावा और भी कई काम हैं, जिन्हें इस एजेंसी के हवाले किया गया था। इस साल के एग्जाम से पहले अभी तक स्टूडेंट्स के एग्जामिनेशन फार्म तक नहीं भर पाए हैं।

मार्कशीट्स में अब भी हैं प्रॉब्लम्स

रिजल्ट भी निकाला और जो निकाला, उनकी मार्कशीट्स में इतनी गलतियां कर दी हैं कि स्टूडेंट्स उन्हें ठीक कराने में ही परेशान हो रहे हैं। मार्कशीट्स में सबसे ज्यादा आरडी और एमडब्लू की समस्या है, जिसे एजेंसी दूर नहीं कर पाई है।

दोबारा बुलाया काम करने को

दो साल तक रिजल्ट नहीं देने के बाद यूनिवर्सिटी ने इस साल एक नई एजेंसी को ठेका दे दिया। लेकिन शुभ्राटेक एजेंसी भी सही तरीके से काम नहीं कर पाई तो यूनिवर्सिटी ने दोबारा से माइंडलॉजिक्स को बिना किसी टेंडर के काम के लिए बुला लिया।

स्टूडेंट्स रोज कर रहे हैं हंगामा

मार्कशीट को लेकर स्टूडेंट्स हर रोज यूनिवर्सिटी में हंगामा कर रहे हैं। कभी कुलपति आवास घेर लेते हैं तो कभी एजेंसी का घेराव कर लेते हैं। लेकिन एजेंसी के बंद होने के कारण वहां से उन्हें कोई जवाब नहीं मिलता है।

मंडे को दिया कुलपति को ज्ञापन

मार्कशीट की समस्या झेल रहे स्टूडेंट्स ने एबीवीपी के साथ मिल कर स्टूडेंट्स ने कुलपति को ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में एजेंसी बंद करने की मांग की गई थी। स्टूडेंट्स का कहना था कि अगर एजेंसी हमारे रिजल्ट और मार्कशीट समय से नहीं दे पा रही है तो उसे बंद ही कर दें।

एजेंसी नहीं खुल रही समय से

पिछले आठ दिनों से एजेंसी बंद ही चल रही है, कब खुलती है और कब बंद रहती है। किसी को इसकी जानकारी ही नहीं है। पिछले दिनों स्टूुडेंट्स ने जब एजेंसी पर हंगामा किया तो एक अधिकारी ने तीन-चार स्टूडेंट्स को मार्कशीट दे दी। उसके बाद से ही एजेंसी काम नहीं कर रही है।

एजेंसी कर रही पेमेंट का इंतजार

यूनिवर्सिटी से जुड़े सूत्रों के अनुसार एजेंसी को पिछले साल लगभग 7ख् लाख का पेमेंट किया गया था लेकिन यूनिवर्सिटी ने कुछ पेमेंट रोक लिया था। एजेंसी उसी रूके हुए पेमेंट का इंतजार कर रही है। जैसे ही वो पेमेंट एजेंसी को हो जाएगा, वो यूनिवर्सिटी में काम करना बंद कर देगी।

'एजेंसी के काम की लगातार शिकायतें मिल रही हैं। हम जांच भी कर रहे हैं। स्टूडेंट्स को होने वाली दिक्कतों का निस्तारण जल्द से जल्द किया जाएगा.'

- बीके पांडेय, रजिस्ट्रार