- 1600 कोचिंग सेंटर शहर में चल रहे
- 9 पार्ट में बिल्डिंग को दी जाती है एनओसी
- मई 2019 में सूरत में कोचिंग मंडी में हुआ था बड़ा हादसा
- 2055 हादसे दो साल में फायर के हो चुके हैं कोचिंग सेंटर में
- शहर में 90 फीसदी कोचिंग सेंटर असुरक्षित, मानकों की पूरी तरह अनदेखी
- कहीं मॉडल शॉप की बिल्डिंग में तो कहीं छत पर चल रहा कोचिंग सेंटर
क्या है एनओसी के मानक
- 3 साल कामर्शियल बिल्डिंग की एनओसी
- 5 साल रेजीडेंशियल बिल्डिंग की एनओसी
LUCKNOW : दिल्ली में कोचिंग सेंटर हादसे में स्टूडेंट्स की मौत की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। वहीं लखनऊ कोचिंग सेंटर की अनदेखी के चलते कई बार स्टूडेंट्स की जान आफत में पड़ चुकी है। नोटिस व कार्रवाई के बाद भी हालात जस के तस हैं। ऐसे में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रिपोर्ट ने मंगलवार को शहर के कोचिंग संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था का रियल्टी चेक किया। रियलिटी चेक में मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ती हुई नजर आई। पेश है एक रिपोर्ट।
15 दिन में देनी थी रिपोर्ट, अब तक कार्रवाई नहीं
मई 19 को सूरत में कोचिंग मंडी में आग लगने के बाद शहर में भी कोचिंग सेंटर के सुरक्षा मानकों की खोज खबर शुरू की थी। सीएफओ विजय कुमार सिंह के अनुसार शहर में करीब 16 सौ से ज्यादा कोचिंग सेंटर हैं। ये कामर्शियल बिल्डिंग से लेकर प्राइवेट मकानों में भी चल रहे हैं। फायर डिपार्टमेंट ने पांच लोगों की कमेटी बनाई थी, जिसे 15 दिन में सभी कोचिंग सेंटर का निरीक्षण करने के बाद रिपोर्ट डिपार्टमेंट को सौंपी जानी थी। रिपोर्ट के अनुसार कोचिंग संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जानी थी। नोटिस के साथ साथ उनके खिलाफ केस दर्ज करने के लिए सीजीएम कोर्ट में रिपोर्ट पेश की दी जानी थी, लेकिन 6 माह से भी ज्यादा का समय बीत चुका है न तो रिपोर्ट पेश की गई और न ही कोचिंग संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई।
क्या है एनबीसी का मानक
किसी भी बिल्डिंग की एनओसी का मानक 9 पार्ट में होता है। कामर्शियल बिल्डिंग का क्राइटेरिया अलग अलग है। ज्यादातर कोचिंग सेंटर कामर्शियल कॉम्प्लेक्स और बिल्डिंग में चल रहे हैं। इसमें असेंबली बिल्डिंग, ग्लास बिल्डिंग, ओपन बिल्डिंग समेत अन्य मानक हैं। 5 सौ वर्ग मीटर क्षेत्र वाली बिल्डिंग में 2 से 3 सीढि़यां होना जरूरी है जबकि ग्लास वाली बिल्डिंग में फुटफॉल एक हजार से ज्यादा है तो फायर डिटेक्टर और रूफ टैंक होना अनिवार्य हैं।
हादसा होने पर जागते हैं
सीएफओ के अनुसार 1 से 31 दिसंबर 2019 तक राजधानी में 1024 आग लगने की घटनाएं हुई हैं। वहीं 1 जनवरी 2018 से अब तक आग लगने के 1031 मामले सामने आए हैं। फायर डिपार्टमेंट कामर्शियल बिल्डिंग को 3 और रेजीडेंशियल बिल्डिंग को 5 साल की एनओसी देता है। फायर डिपार्टमेंट को हर साल इन बिल्डिंग की जांच भी करनी होती है, लेकिन न जांच होती है और ना ही एनओसी खत्म होने के बाद नोटिस जारी की जाती है।
300 बिल्डिंग को नोटिस
शहर कई बिल्डिंग बिना फायर एनओसी के ही खड़ी हो गई हैं। इसके लिए अन्य डिपार्टमेंट को सूचित भी किया है। बिल्डिंग ऑनर दूसरे डिपार्टमेंट से एनओसी लेकर बिल्डिंग बना लेते हैं, लेकिन फायर एनओसी नहीं लेते। फायर व जिला प्रशासन की तरफ से संबंधित डिपार्टमेंट को लेटर लिखा गया है कि वह पहले फायर एनओसी देखें, इसके बाद ही अन्य एनओसी जारी करें।
मॉडल शॉप बिल्डिंग में चल रही कोचिंग
हजरतगंज के एरिया में एक कोचिंग सेंटर मॉडल शॉप की बिल्डिंग में चल रहा है। नीचे मॉडल शॉप और ऊपर कोचिंग में बच्चों का भविष्य बनाया जा रहा हैं। वहीं महानगर में तीन मंजिला इमारत वाली बिल्डिंग में छत पर बच्चे स्टडी करते हुए नजर आए।
यह विभाग हैं जिम्मेदार
बिजली विभाग-
कोचिंग कॉम्प्लेक्स में बिजली का तारों का जंजाल चारों तरफ फैला है। उसके नीचे से गुजर कर स्टूडेंट्स को कोचिंग तक पहुंचना होता है। बिजली विभाग की जिम्मेदारी है, लेकिन विभाग कभी निरीक्षण करने नहीं पहुंचता।
नगर निगम व एलडीए-
किसी भी बिल्डिंग में निर्माण कार्य व लाइसेंस चेक करना नगर निगम व एलडीए की जिम्मेदारी होती है। समय समय पर वह चेकिंग करें तो बिल्डिंग के हालत का खुलासा हो सकता है।
जिला प्रशासन-
जिला प्रशासन की ओवर ऑल जिम्मेदारी है। कोई भी बिल्डिंग रहने लायक है या कामर्शियल बिल्डिंग में मानकों को पूरा गया है या नहीं।
फायर डिपार्टमेंट
कामर्शियल व रेजीडेंशियल बिल्डिंग के सुरक्षा मानकों व फायर की जिम्मेदारी फायर डिपार्टमेंट की है। हालांकि फायर डिपार्टमेंट ने करीब तीन सौ ऐसी बिल्डिंग संचालकों को नोटिस भेजा है जहां कोचिंग चल रही है।
कब कब हो चुके हादसा
महानगर-
कपूरथला सदफ सेंटर में चार मंजिला इमारत है। कोचिंग सेंटर में आग से करीब 70 छात्र-छात्राएं फंसी थी। चार मंजिला कोचिंग सेंटर के पड़ोस की छत पर कूद कर स्टूडेंट्स ने अपनी जान बचाई थी।
हजरतगंज-
नवल किशोर रोड स्थित एक कोचिंग कॉम्प्लेक्स में शार्ट सर्किट से आग लग गई थी। कॉम्प्लेक्स में 8 बड़े कोचिंग सेंटर हैं। आग में कई स्टूडेंट्स फंस गए थे और उन्हें नीचे मंजिल में स्थित दुकानदारों ने सुरक्षित निकाला। कई बच्चे धुआं के चलते बेहोश भी हो गए थे।
इन मानकों को पूरा करना चाहिए
- सैट बैक (मोटरेबल)
- सैट बैक (भवन की ऊंचाई के हिसाब से वर्किग स्पेस)
- फायर एग्जिट
- पलायन मार्ग की स्पष्टता
- पलायन मार्ग की डिस्टेंस
- वैकल्पिक रास्ता और जीने की व्यवस्था
- कम्पार्टमेंटेशन
- आकस्मिक स्थिति में लाइट की व्यवस्था
- बेसमेंट में रैंप की व्यवस्था
- बिल्डिंग में जरूरत के हिसाब से रिफ्यूज एरिया की व्यवस्था
- मेन रोड से प्रस्तावित बिल्डिंग के लिए पांच मीटर से कम चौड़ा रास्ता नहीं होना चाहिए
ये व्यवस्था बिल्डिंग में होनी चाहिए
- फायर एक्सटिंग्यूशर
- होजरील प्रणाली
- डाउन कमर सिस्टम
- यार्ड हाईडेंट सिस्टम
- आटोमैटिक स्प्रिंकलर्स सिस्टम
- आटोमैटिक डिटेक्शन एवं अलार्म सिस्टम
- मैनुअली ऑपरेटेड इलेक्ट फायर अलार्म सिस्टम
- अंडर ग्राउंड वाटर टैंक
- ओवरहेड वाटर टैंक
- एमसीबी व ईएलसीबी
- पब्लिक एड्रेस सिस्टम