इविवि में ग्रामीण अध्ययन विषय पर प्रोजेक्ट वर्क के तहत मनकवार गांव पहुंचे छात्रों की टीम ने किया सर्वे

खुले में शौच से दांव पर बहू-बेटियों की इज्जत

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PRAYAGRAJ: मौजूदा माहौल में भले ही सरकार गांव गांव विकास की योजनाओं को पहुंचा देने का दावा कर रही हो. लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और ही है. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में ग्रामीण अध्ययन विषय पर प्रोजेक्ट वर्क के तहत घूरपुर बीटा के समीप स्थित मनकवार गांव पहुंचे छात्रों की टीम ने गांव का सर्वे किया तो कई बातें सामने आई. इसे जानकार छात्र भी हैरत में पड़ गए. सर्वे में उन्हें पता चला कि गांव के 90 फीसदी घरों में नल ही नहीं है और ज्यादातर घरों में शौचालय तक की व्यवस्था भी नहीं है. 100 अंकों के प्रोजेक्ट वर्क के लिए टीम में कुल छह छात्र-छात्राएं पहुंचे थे.

स्वास्थ्य केन्द्र से मिलती है एक्सपायरी डेट की दवा

समाजशास्त्र विभाग में एमए लास्ट इयर के स्टूडेंट्स ने गांव के दौरे में पाया कि वहां स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं पहुंच रहीं. करीब साढ़े तीन किलोमीटर दूर स्थित सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र पर अव्यवस्था का आलम है. यहां से कई बार एक्सपायरी डेट की दवा दिए जाने के कारण कई ग्रामीणों ने वहां जाना तक बंद कर दिया है. ग्रामीणों को पानी के लिए काफी दूर जाना पड़ता है. गांव में उपलब्ध पीने का पानी तक प्रदूषित है. गांव में शौचालय की व्यवस्था न होने से घर की बेटी और बहुएं खुले में शौच करने को विवश हैं. जिनके साथ अनहोनी की आशंका भी बराबर बनी रहती है. हालांकि गांव में आशा वर्कर के ठीक ढंग से काम करने की जानकारी सर्वे में मिली.

विभाग की ओर से सर्वे के लिए तीन टीम बनाई गई. जिनमें से बाकी दो टीमें ने फाफामऊ टिकरी खास और नैनी स्थित चाका का दौरा किया. मनकवार के दौरे में पता चला कि गांव में बेसिक नीड की चीजें तक नहीं है.

विवेकानंद शुक्ला

शिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य आदि के अध्ययन में पाया गया कि यहां कुछ चीजों पर तो सरकार का ध्यान तक नहीं गया है. बिजली आपूर्ति, स्वच्छ जल, सड़क की व्यवस्था आदि से ग्रामीण जूझ रहे हैं.

शिवम जायसवाल

यह चिंताजनक है कि समाज का ग्रामीण तबका आज भी लगातार अपनी जरूरतों के लिए सरकारी महकमों से संघर्ष कर रहा है. वहां के प्राथमिक स्वास्थ्य एवं उपचार केन्द्र पर महिलाओं एवं बच्चों से जुड़ी दवाएं तथा कर्मचारियों का अभाव है. यहां के ग्राम प्रधान एवं संबंधित अधिकारियों के बीच सामंजस्य का काफी अभाव है.

आंचल कुशवाहा

ग्रामीणों ने बताया कि खुले में शौच के कारण महिलाओं और लड़कियों के साथ अक्सर घटनाएं हो जाती हैं. इसके लिए जरुरी है कि गांव और घरों में पर्याप्त संख्या में शौचालय बनाए जाएं. हमें बताया गया कि आवास योजना के तहत जुगाड़ वालों को ही घर मिल रहा है.

श्रुति सिन्हा