- नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट में शुगर इंडस्ट्री में पानी की बर्बादी रोकने के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन

- शुगर मिलों को लेटेस्ट टेक्नोलॉजी पर ध्यान देकर इस्तेमाल करने की सलाह, मिलेगा फायदा

KANPUR: शुगर इंडस्ट्री को पानी की बचत करने के लिए ट्रिपल आर (रिड्यूस, रीयूज और री साइकिल) पर फोकस करना होगा। अगर इस फार्मूले पर काम किया गया तो शुगर मिलों में 50 परसेंट तक पानी की बर्बादी रुक जाएगी। इसके लिए शुगर इंडस्ट्री को अपनी कैपेसिटी के आधार पर लेटेस्ट टेक्नोलॉजी को स्टेब्लिश कराना होगा। यह विचार एनएसआई डायरेक्टर प्रो नरेन्द्र मोहन अग्रवाल ने संस्थान में आयोजित ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि अब हर दिन पॉल्यूशन बोर्ड के नियम और कानून सख्त होते जा रहे हैं। शुगर मिलों को इस पर ध्यान देना होगा।

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3 आर का फॉर्मूला मतलब रिड्यूस, रीयूज और री साइकिल

50 परसेंट तक पानी की बर्बादी इससे रोकी जा सकती है।

30 मिलियन टन पानी यूज होता है हर साल शुगर इंडस्ट्री में

50 परसेंट कम हो सकती है खपत

रिटायर प्रो। संतोष कुमार ने बताया कि शुगर इंडस्ट्री में एक साल में करीब 30 मिलियन टन पानी यूज किया जाता है। अगर चीनी मिलें ट्रिपल आर के फार्मूले पर ध्यान केन्द्रित करेंगी तो पानी की 50 परसेंट तक बर्बादी रोकी जा सकती है। अगर इस टेक्नोलॉजी को प्रयोग किया तो नेचुरल सोर्सेज का भी संरक्षण करने में कामयाबी हासिल होगी। उन्होंने चीनी मिलों से निकलने वाले इफ्लूएंड के शोधन पर जानकारी दी। साथ ही वेस्ट वाटर में सल्फेंट की मात्रा को कम करने को कहा।

खेती में यूज होगा िमल का पानी

शुगर मिल के पानी का यूज खेती की सिंचाई मे किया जा सकता है। बीओडी को 30 पीपीएम से कम करके इस पानी से सिंचाई की जा सकती है। डॉ। विष्णु ने साफ कहा कि जब तक शुगर इंडस्ट्री अपने प्लांट को अपग्रेड नहीं करेंगी तब तक वह पॉल्यूशन को कम नहीं कर सकती हैं। प्रोग्राम में जेपी श्रीवास्तव, एके गर्ग मौजूद रहे।