- जोगीपुर में सबसे एडवांस मशीन लगने के बाद भी हैवी रेन में छूट जा रहे है पसीने

- एनबीसीसी का मोटर तो चला लेकिन पानी निकालने का नहीं है कोई प्लान

- बीआरजेपी के जोगीपुर संप हाउस से हर दिन करोड़ों लीटर पानी की होती है निकासी

- अन्य संप हाउस की हालत भी ठीक नहीं, कंडीशन को समझने के लिए पटनाइट्स तैयार नहीं

PATNA: कंकड़बाग मलाही पकड़ी स्थित जोगीपुर संप हाउस इन दिनों खासतौर पर चर्चा में है, क्योंकि हाईकोर्ट में कंकड़बाग, राजेंद्र नगर में होने वाली भीषण जलजमाव के मसले पर जोगीपुर संप हाउस पर अंगुली उठती रहीं, आरोप लगता रहा कि जोगीपुर संप हाउस कहीं से भी एरिया के पानी को खींचने में नाकाम हो रहा है। इस वजह से बारिश के बीसवें दिन भी मीठापुर से लेकर कंकड़बाग के दर्जनों एरिया में जलजमाव एक बड़ी परेशानी बनी हुई है। लेकिन पटना का यह पहला संप हाउस है। जिसके सामने एनबीसीसी का हाई टेक्निक का संप हाउस बना हुआ है। जो हैवी रेन के वक्त यूज में लाया जाता है। और नॉर्मल डे लाइफ में बीआरजेपी का जोगीपुर संप हाउस का ही यूज किया जाता है। संप हाउस के एक्सपर्ट व इंजीनियर मुनीश चंद्र झा बताते हैं कि अब एरिया में जो भी पानी है वो नालों तक नहीं पहुंच पा रहा है। इस वजह से जमा है। लेकिन बात अगर बारिश की करें तो आने वाले दिनों में भी अगर बारिश उसी रफ्तार से होती है तो यह संप हाउस एक बार फिर से हाफना शुरू कर देगा। क्योंकि डेली सर चार्जिग के अलावा यह पचास एमएम की बारिश तक को ही आसानी से निकाल सकती है। लेकिन इससे अधिक होने पर फिर प्राब्लम बढ़ना शुरू हो जाएगा। इंजीनियर बताते हैं कि इस बार हुई हैवी रेन फ्भ्0 एमएम की हुई थी। इसलिए इसे निकालने में भारी परेशानी से गुजरना पड़ा। वहीं दूसरा एनबीसीसी का संप हाउस के यूज होने पर भी इसी रास्ते से होकर पानी निकल रहा था। इस वजह से परेशानी काफी बढ़ी हुई है।

देशी और विदेशी मशीन भी रास्ता नहीं कर पा रही है आसान

दरअसल बीआरजेपी और एनबीसीसी की दोनों संप हाउस मिलकर भी हैवी रेन का मुकाबला नहीं करती है। एनबीसीसी ने तीन नए पंप लगाए हैं। जो भ्क्0 एचपी और फ्फ्00 बोल्ट पर चलता है। इसे बंगलुरु और पुणे से मंगाया गया है। ताकि हैवी रेन में इसका यूज किया जा सके, इसके लिए एनबीसीसी के इंजीनियर ने बॉक्स नाला का भी निर्माण किया लेकिन उसकी कनेक्टिविटी नहीं होने की वजह से पानी जहां का तहां फंसा रह जाता है। इस बार की बारिश में इसे एक दिन ही चलाया गया था। जो आसपास के जलजमाव को ही कम कर पायी थी। वहीं जलजमाव की प्राब्लम से निपटने के लिए बीआरजेपी ने भी लेटेस्ट पंप लगाए है। जो काफी पानी खींचता है। लेकिन हैवी रेन का मुकाबला करने की ताकत इसके पास भी नहीं है।

आखिर परेशानी सड़क और नाले की है।

दरअसल जोगीपुर संप हाउस तक पहुंचने वाला नाला का पानी जिस रफ्तार से आना चाहिए वो नहीं आ पाता है। उस पर से हैवी रेन इसे और भी परेशान कर देता है। हालत तो यह हो जाता है कि पानी का प्रेशर इतना हो जाता है कि उसे निकाल पाना संभव नहीं है। जबकि आसपास की ऊंची एरिया होने की वजह से लो लैंड में जलजमाव देखा जा रहा है।

मीठापुर की वजह से डूब रहा है कंकड़बाग

जोगीपुर संप हाउस का क्षेत्र काफी बड़ा है। यह मीठापुर से लेकर विदयापुरी तक का एरिया ए‌र्ब्जब करता है। पहले परेशानी नहीं होती थी क्योंकि अधिकांश पानी मीठापुर में ही रह जाता था। लेकिन दो तीन सालों से कंस्ट्रक्शन होने की वजह से अब पानी सीधे दूसरे एरिया में चला जा रहा है। लो लैंड से पानी का निकासी सिस्टम ठीक नहीं होने से परेशानी काफी बढ़ जाती है।

सैदपुर संप हाउस की कैपेसिटी

पंप -- कैपेसिटी -- डिस्चार्ज

क् - फ्फ्भ् एचपी - क्ख्00 लीटर प्रति सेकेंड

ख् - क्70 एचपी - 8ख्0 लीटर प्रति सेकेंड

फ् - ख्भ्0 एचपी - क्ख्00 लीटर प्रति सेकेंड

ब् - फ्फ्भ् एचपी - क्ख्00 लीटर प्रति सेकेंड

भ् - ख्70 एचपी - क्ख्00 लीटर प्रति सेकेंड

म् - क्70 एचपी - 8ख्0 लीटर प्रति सेकेंड