-दोपहर में 118.4 डिग्री फारेनहाईट तक पहुंच चुका है हमारे आसपास का टेम्प्रेचर

-शरीर का नार्मल टेम्परेचर होता है 98.6 डिग्री फारेनहाईट

-इस टेम्प्रेचर में हाईपोथैलमस सिस्टम हो सकता है फेल

-डॉक्टर्स बोले, सूख जाएगा शरीर का पानी, फेल हो सकता है लीवर

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: बॉडी का टेम्प्रेचर नार्मल से थोड़ा ऊपर हो जाए तो बुखार से जीना मुश्किल हो जाता है। यह 104 फारेन हाइट तक पहुंच जाए तो डॉक्टर के पास ले जाना मजबूरी हो जाती है। इससे दो डिग्री और ऊपर चला जाए तो कोमा में जाने का खतरा हो जाता है। यानी हमारी बॉडी इससे ज्यादा टेम्प्रेचर झेलने की स्थिति में नहीं होती। इसके ठीक उलट इन दिनों हमारे आसपास का तापमान है। सूरज को बुखार चढ़ गया है। उसे अस्पताल पहुंचाने का कोई चारा नहीं है। बेहतर होगा कि आप खुद ही अपने आप को बचाकर रखें। नहीं तो झेलना भी आपको ही पड़ेगा। एक्चुअली किसी भी आम इंसान के नार्मल बाडी टेम्परेचर से सूरज का टेम्परेचर बीस डिग्री फारेनहाइट ज्यादा हो चुका है। यह बड़े खतरे का संकेत है।

हमारे-आपके लिए तो 105 डिग्री फारेनहाइट ही बहुत

हम मजाक बिल्कुल नहीं कर रहे हैं। सूरज को वाकई में बुखार चढ़ गया है। किसी भी पढ़े लिखे व्यक्ति से पूछ लें बॉडी का नार्मल टेम्परेचर कितना होता है तो वह तपाक से जवाब देगा 98.6 डिग्री फारेनहाईट यानि 37 डिग्री सेल्सियस। बॉडी का इससे ज्यादा टेम्परेचर होने पर हम अस्तपाल के चक्कर लगाना शुरू कर देते हैं। 102 या 103 डिग्री फारेनहाईट बुखार में शरीर तपना शुरू हो जाए तो घर में रहकर ही इलाज करवा लेते हैं। लेकिन अगर इससे ऊपर टेम्परेचर चला जाए तो अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ जाती है। वहीं बात 105 डिग्री फारेनहाईट या इससे ऊपर के बुखार की हो तो इंसान कोमा में भी जा सकता है।

फ्राइडे को दो डिग्री ऊपर चढ़ा पारा

यह तो हुई इंसानों की बात। अब बात सूरज को चढ़े बुखार की करते हैं। पिछले कुछ समय से टेम्परेचर लगातार चालीस डिग्री सेल्सियस के पार चल रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक फ्राइडे को इलाहाबाद का तापमान 48 डिग्री सेल्सियस रहा। इस हिसाब से देखें तो सूरज को 118.4 डिग्री फारेनहाईट तक बुखार चढ़ चुका है। वैसे सूरज को चढ़े बुखार की गणना आप करना चाहें तो आप भी कर सकते हैं। एग्जाम्पल के तौर पर एक डिग्री सेल्सियस 33.8 डिग्री फारेनहाईट के बराबर होता है। इसके बाद प्रत्येक एक डिग्री सेल्सिय के हिसाब से 33.8 डिग्री फारेनहाईट में 1.8 डिग्री फारेनहाईट को जोड़ते जाईये। 48 डिग्री सेल्सियस 118.4 डिग्री फारेनहाईट के बराबर निकलेगा।

38 डिग्री सेल्सियस से ही हो गई थी शुरुआत

अगर आपको ये गणना समझ में आ गई तो जान लिजिए कि पिछले कई दिनों से सूरज को लगातार बुखार चढ़ा हुआ है। इसकी शुरुआत 38 डिग्री सेल्सियन यानि 100.4 डिग्री फारेनहाईट के बुखार से ही हो गई थी। चालीस डिग्री सेल्सियस यानि 104 डिग्री फारेनहाईट तक तो बात समझ में आती थी। लेकिन इसके बाद 41 डिग्री सेल्सियस (105.8 डिग्री फारेनहाईट) के बाद से ब्8 डिग्री सेल्सियस तक के सफर के बीच बात बिगड़नी शुरू हो गई। यही कारण है कि छत पर लगी पानी की टंकी से लेकर घर में रखे सामान तक सबकुछ तपने लगा है।

इतने तापमान में बहुत कुछ हो जाएगा

इतनी खबर पढ़ने के बाद आप सोच रहे होंगे कि सूरज को बुखार चढ़ भी गया तो हो क्या जाएगा। अरे जनाब, इस समय सबकुछ सूरज को चढ़े बुखार की ही देन है। तेज बहादुर सप्रु अस्पताल के सीनियर फिजिशियन डॉ। ओपी त्रिपाठी बताते हैं कि सिर के पीछे वाले पार्ट में हाइपोथैलमस नामक जगह होती है। यह शरीर के ताप को नियंत्रित करती है। इतने ज्यादा तापमान में यह अनियंत्रित भी हो सकती है। जिससे शरीर का ताप अचानक से अनियंत्रित होकर बढ़ना शुरू हो सकता है और आप गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। डॉ। त्रिपाठी की बात से सहमति जताते हुए इसी अस्पताल के फिजिशियन डॉ। दीपक सेठ बताते हैं कि शरीर के थर्मोरेगुलेटरी सेंटर के फेल हो जाने पर शरीर बहुत तेजी से हीट होता है। इससे पूरा शरीर सूख जाता है और हाई फीवर के साथ लीवर फेल हो जाने समेत कई सारी समस्याएं हो सकती है।

इतने तापमान में खौल जाता है पानी

फॉरेट हाइट टेम्प्रेचर के कैल्कुलेशन की बात करें या फिर पारे के डिग्री सेल्सियस में पहुंचे की। वर्तमान समय में पारा जहां पहुंच चुका है वहां दिन में कुछ देर के लिए ही किसी भी पात्र में पानी रख देने पर वह खौल सकता है। स्थिति यह है कि छतों के ऊपर रखी टंकियों का पानी सीधे शरीर पर पड़ जाए तो फफोले भी पड़ सकते हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि दिन में बाहर निकलने पर बॉडी कितनी सारी प्राब्लम्स झेलती होगी। डॉक्टर्स का कहना है कि इस मौसम में तो बेहतर होगा कि घर में ही रहा जाए।

कैसे बचें सूरज के प्रकोप से

-बेहद जरूरी होने पर ही दोपहर के वक्त घर से निकलें

-घर से निकलने से पहले खूब पानी पी लें

-चेहरे को पूरी तरह से ढक कर रखें, बाइक चला रहे हैं तो हेलमेट जरूर लगावें

-लम्बी दूरी तय करनी है तो पानी का सेवन लगातार करते रहें

-ऐसी स्थिति में ब्रेक जर्नी ही करें तो बेहतर होगा

-सुबह की बनी खाद्य सामग्री का इस्तेमाल शाम के वक्त किसी भी कीमत पर न करें

-दोपहर में भारी काम करने से बचें

फारेनहाइट का गणित

भारत मौसम विभाग के विज्ञानियों के अनुसार एक डिग्री सेल्सियस फ्फ्.8 डिग्री फारेनहाइट के बराबर होता है। इसके बाद प्रत्येक एक डिग्री सेल्सिय के हिसाब से फ्फ्.8 डिग्री फारेनहाईट में क्.8 डिग्री फारेनहाईट को जोड़ते जाएंगे। यानी दो डिग्री सेल्सियस को फ्भ्.म् डिग्री फारेनहाइट माना जाएगा। आज अधिकतम तापमान ब्8 डिग्री सेल्सियस था। यानी ब्7 में क्.8 से गुणा करना होगा और जो भी योग आएगा उसमें फ्फ्.8 को एड कर दिया जाएगा। इसी गणित के अनुसार आज का टेम्प्रेचर क्क्8.ब् डिग्री फारेनहाईट के बराबर था।

थर्मोरेगुलेटरी सेंटर के फेल हो जाने पर शरीर तेजी से हीट होता है। इससे पूरा शरीर सूख जाता है और हाई फीवर के साथ लीवर फेल हो जाने समेत कई सारी समस्याएं हो सकती हैं।

डॉ दीपक सेठ

फिजीशियन, बेली हॉस्पिटल

सिर के पीछे वाले हिस्से के स्पेश को हाइपोथैलमस के नाम से जाना जाता है। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है। इस तापमान में इसके अनियंत्रित हो जाने का खतरा ज्यादा है। इस स्थिति में शरीर का ताप अनियंत्रित होकर बढ़ना शुरू हो सकता है जो गंभीर रोगों का कारण हो सकता है।

ओपी त्रिपाठी

फिजीशियन, बेली हॉस्पिटल