-गर्मी ने बढ़ाई मुश्किल, बाइक से निकलने पर झुलस रहा बदन

-कार्यकर्ताओं की डिमांड से छूटने लगे हैं प्रत्याशियों के पसीने

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: जिले में इलेक्शन के उत्साह पर मौसम का ब्रेक लगाने लगा है. कड़ी धूप ने नेताओं और कार्यकर्ताओं के सामने चुनौती खड़ी कर दी है. नामांकन दाखिल करने के साथ क्षेत्र में रोड शो और जनसंपर्क पर निकले कार्यकर्ताओं का बदन झुलस जा रहा है. प्रत्याशी और पार्टी नेताओं को इस बात की चिंता सताने लगी है कि कहीं कार्यकर्ता बीमार न पड़ जाएं. चुनाव आचार संहिता की बंदिशों के चलते नेता लाचार हो गए हैं. कड़क धूप में प्रचार की चिंता सताने लगी है.

बाइक से नहीं जाएंगे, फोर व्हीलर दिलाइए

जिले की दोनों लोकसभाओं में चुनाव प्रचार जोर पकड़ने लगा है. गुरुवार को कांग्रेस के प्रत्याशियों की लिस्ट जारी होने के बाद सरगर्मी बढ़ गई है. एक तरफ जहां फसलों की कटाई-मड़ाई का काम चल रहा है. वहीं, दूसरी ओर लगन भी शबाब पर है. ऐसे में पब्लिक के बीच जाकर जनसंपर्क करने में कार्यकर्ताओं के पसीने छूटने लगे हैं. सुबह-शाम कार्यकर्ता बाइक, साइकिल और पैदल जनसंपर्क करने निकल जा रहे हैं. लेकिन सुबह 10 बजे के बाद जैसे-जैसे धूप की शिद्दत बढ़ रही है. वैसे ही कार्यकर्ताओं का दमखम जवाब दे रहा. कार्यकर्ता अपने सांसद प्रत्याशी से फोर व्हीलर की डिमांड करने लगे हैं. कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब फोर व्हीलर रहेगी तो आसानी से दिनभर दौड़भाग हो सकेगी. उधर खर्च के डर से प्रत्याशी अपने कार्यकर्ताओं के लिए फोर व्हीलर का इंतजाम नहीं कर पा रहे. कार्यकर्ताओं के चक्कर में नेताजी लोगों के बजट का मैनेजमेंट गड़बड़ा जा रहा है. शहर क्षेत्र में एक पार्टी के तमाम कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना वाहन के प्रचार करने नहीं जा पाएंगे.

लगन देखे की नेताजी को जिताएं, अब चुनाव बाद घर जाएं

पार्टियों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने झोला उठा लिया है. प्रत्याशियों के चुनाव संचालन प्रभारियों की तरफ से हर कार्यकर्ता को अलग-अलग जिम्मेदारी दी जा रही है. क्षेत्र को सेक्टर और जोन में बांटकर कार्यकर्ता जोर लगा रहे हैं. अपने नेता के समर्थन में कई कार्यकर्ता अपना झोला उठाकर क्षेत्र में डट गए हैं. ऐसे में परिचितों, रिश्तेदारी और अन्य जगहों से आने वाले निमंत्रण में कार्यकर्ता नहीं पहुंच पा रहे हैं. कार्यकर्ताओं का कहना है कि अब झोला उठ गया तो चुनाव के बाद ही घर जाएंगे.

कहीं पर गुड़ तो कहीं पर छाछ की तरावट

गर्मी में प्रचार कार्य में लगे कार्यकर्ता तरावट के लिए ठंडी चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं. नेताओं के कार्यालय पर कार्यकर्ताओं के लिए खाने-पीने का प्रबंध किया गया है. किसी कार्यालय पर गुड़ और दही का शरबत बनाकर पिलाया जा रहा है तो कहीं पर रेडीमेड छाछ की तरावट कार्यकर्ता ले रहे हैं. सीजनल फलों की डिमांड भी बढ़ गई है. खीरा, ककड़ी, तरबूज, बेल और दही के अतिरिक्त कोल्ड ड्रिंक सहारा बना हुआ है.

ये डाइट ले रहे कार्यकर्ता

बेल और गुड़ का शरबत, भूजा-चना और लाई, खीरा-ककड़ी, तरबूज, कोल्ड ड्रिंक्स, दही, छाछ और फल

वर्जन

हमारे कार्यकर्ता सैनिकों की तरह से डटे हुए हैं. जिस तरह से सीमा पर जमे जवान मौसत की परवाह नहीं करते. उसी तरह से हमारे कार्यकर्ता भी अपनी लक्ष्य प्राप्ति के लिए लगे हुए हैं. भूजा-गुड़ और चटनी हमारा पुराना नाश्ता है. बाकी हम सभी लोगों को इलेक्शन के बाद भूख-प्यास महसूस करेंगे.

प्रह्लाद यादव, जिलाध्यक्ष, सपा गोरखपुर

यह सामाजिक परिवर्तन का आंदोलन है. इसमें शामिल लोगों के लिए भूख-प्यास कोई मायने नहीं रखती है. हमारे कार्यकर्ता अपनी सुविधा अनुसार अपने नाश्ते-पानी का इंतजाम कर रहे हैं. कार्यकर्ताओं के जोश के आगे मौसम बेअसर नजर आ रहा है.

घनश्याम राही, जिलाध्यक्ष बसपा