नई दिल्ली (पीटीआई)। हाल ही में सोमवार को जारी हुई दूसरी और आखिरी एनआरसी लिस्ट में उन नागरिकों के नामों को शामिल किया गया है जो 24 मार्च, 1971 से पहले से असम में रह रहे हैं। ऐसे में इस एनआरसी में करीब 2.90 करोड़ लोगों को जहां भारत का नागरिक माना गया है। वहीं लगभग 40 लाख लोगों की नागरिकता पर संकट के बादल मंडराने लगे। इसके बाद वहां पर उथल-पुथल मच गई। कल मंगलवार को एनआरसी की मसौदा रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई। स्टेट क्वार्डिनेटर प्रतीक हजेला ने एनआरसी मसौदा सुप्रीम कोर्ट में पेश किया। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई व न्यायमूर्ति आरएफ नारिमन की पीठ ने एनआरसी मामले की रिपोर्ट को गंभीरता पढ़ा।

आपत्तियां और दावे पेश करने का मौका मिलेगा
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि अभी प्रकाशित यह एनआरसी महज एक मसौदा है। इसके आधार पर किसी भी अथाॅरिटी को किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई करने का अधिकार नही है। बता दें कि अभी फाइनल एनआरसी तैयार करने की प्रकिया शुरू होगी। इससे पहले लोगों को नोटिस भेजा जाएगा। इतना ही नहीं उन्हें अपनी आपत्तियां और दावे पेश करने का मौका दिया जाएगा।उनकी आपत्तियों और दावाें को सुनने के बाद ही अंतिम एनआरसी रिपोर्ट बनेगी। वहीं 7 अगस्त से एनआरसी मसौदा देखने के लिए उपलब्ध होगा। इसके  बाद आपत्तियां और दावों के आधार पर सितंबर के अंत तक इस पर विचार विमर्श किया जाएगा।

असम में धारा 144 लागू, NRC के आखिरी ड्राफ्ट से पता चलेगा ये 1.5 करोड़ लोग भारत के नागरिक हैं या नहीं

National News inextlive from India News Desk