साथ ही अदालत ने कहा है कि जिन सीटों पर चुनाव प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है, वहां जिन लोगों ने अभी तक मतदाता सूची में अपना नाम नहीं दर्ज कराया है वो अपना पंजीकरण करा सकते हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शांतिपूर्ण स्थलों पर जनवरी 2014 से पहले तैनात किए गए सभी रक्षा कर्मचारी और उनके परिवार के लोग मतदाता के रूप में अपना पंजीकरण करा सकेंगे.

न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनावों में रक्षा कर्मचारियों और उनके परिवारों को मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है.

मताधिकार

मौजूदा कानूनों के मुताबिक अगर कोई रक्षा कर्मचारी एक स्थान पर तीन साल से अधिक समय से तैनात है तो वो वहां से वोट दे सकता है.

हालांकि जिन 225 लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, वहां ये फ़ैसला लागू नहीं होगा.

इससे पहले हरियाणा हाई कोर्ट ने इस याचिका को ख़ारिज कर दिया था. हालांकि अपने ताजा़ फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने उस फ़ैसले को रद्द कर दिया.

राजीव चंद्रशेखर ने अपनी याचिका में कहा था, "मौजूदा याचिका और उसमें उठाए गए सवाल सिर्फ सशस्त्र बलों से संबंधित नहीं हैं बल्कि ये उनके परिवारों से जुड़ा मसला भी है जो अपने मूलस्थान से बाहर तैनात हैं और वो फ़िलहाल अपना वोट डालने की स्थिति में नहीं हैं. इसलिए वो चुनाव की प्रक्रिया में शामिल होने के अधिकार से वंचित रह जाएंगे."

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