नई दिल्ली(पीटीआई)। उत्तर प्रदेश के हाथरस में कथित सामूहिक दुष्कर्म और माैत का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता में एक बेंच ने हाथरस मामले में जनहित याचिका की सुनवाई की। पीठ ने इस घटना को हृदय विदारक और अभूतपूर्व करार देते हुए कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि इस मामले की जांच सुचारू ढंग से हो। इस दाैरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह 8 अक्टूबर तक हाथरस मामले में गवाहों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों से अवगत कराए। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की इच्छा व्यक्त की क्योंकि राजनीतिक मकसद से फर्जी बातें की जा रही हैं।

हाथरस मामले में अफवाहें फैलाई जा रही

वहीं उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि हाथरस मामले में अफवाहें तेजी से फैलाई जा रही हैं। इस पर अंकुश लगाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी निहित स्वार्थो के लिए फर्जी कहानियां नही बना सकेगा।उत्तर प्रदेश सरकार ने पीठ से यह भी कहा कि हाथरस मामले में सीबीआई की जांच शीर्ष अदालत की निगरानी में करायी जा सकती है। हाथरस में 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित लड़की से कथित सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। पीड़िता की 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी थी।

अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया

इसके बाद 30 सितंबर को रात के अंधेरे में पीड़िता का उसके घर के पास ही अंतिम संस्कार कर दिया गया था। वहीं इसके बाद पीड़िता के परिवार ने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस ने जल्द से जल्द उसका अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया। स्थानीय पुलिस अधिकारियों का कहना है कि परिवार की इच्छा के मुताबिक ही अंतिम संस्कार किया गया। राज्य सरकार ने इस मामले की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश की है और एफएसएल की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए दुष्कर्म के आरोप से इंकार किया है।

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