नई दिल्ली (पीटीआई)। CAA सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ सीएए की वैधता को चुनौती देने वाली 143 दलीलों की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि वह केंद्र सरकार का पक्ष सुने बिना सीएए पर कोई रोक का आदेश नहीं देगा। साथ ही केंद्र को चार सप्ताह का समय दिया है। कोर्ट ने कहा कि सीएए की वैधानिकता निर्धारित करने के लिए इन याचिकाओं को बड़ी संवैधानिक पीठ को भेजा जाएगा। इसके लिए पांच जजों की संवैधानिक पीठ बनाई जाएगी। आज जिन याचिाकाओं पर सुनवाई हुई उनमें इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) और कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिकाएं शामिल हैं।

लगभग 60 दलीलों की प्रतियां प्राप्त हुई

सुनवाई के दाैरान केंद्र की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि सरकार को 143 याचिकाओं में से लगभग 60 दलीलों की प्रतियां प्राप्त हुई हैं। उन्होंने कहा कि जो दलीलें अभी उन्हें प्राप्त नहीं हुई हैं उनके लिए समय चाहते हैं। वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से आग्रह किया कि वह सीएए के संचालन और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर)के काम को थोड़े समय के लिए रोक लगा देनी चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मामले पर केंद्र का पक्ष जाने बिना सीएए पर कोई स्टे नहीं देगी।

एक हिस्से को नागरिकता देने की कोशिश

सीएए 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से देश में आए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदायों से संबंधित प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना चाहता है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 को 12 दिसंबर को एक अधिनियम में बदल दिया। आईयूएमएल ने अपनी दलील में कहा कि सीएए मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है और धर्म के आधार पर बहिष्कार करके अवैध प्रवासियों के एक हिस्से को नागरिकता देने की कोशिश की जा रही है।

चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गई

वहीं कांग्रेस नेता रमेश की याचिका में कहा गया है कि यह अधिनियम संविधान के तहत बने मूल मौलिक अधिकारों पर एक क्रूर हमला है। सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिका दायर करने वालों में राजद नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस के सांसद महुआ मोइत्रा, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं। इसके अलावा मुस्लिम निकाय जमीयत उलमा-ए-हिंद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू), पीस पार्टी, सीपीआई, एनजीओ रिहाई मंच एंड सिटिजन्स अगेंस्ट हेट, एडवोकेट एमएल शर्मा और लाॅ स्टूडेंट ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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