-सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही खुशी से झूमे इलाहाबादी

-कचहरी कांड पर कांग्रेसी नेता की फेसबुक पर टिप्पणी पर मचा था बवाल

-खुश होकर फेसबुक यूजर ने सुप्रीम को बोला थैंक्स

piyush.kumar@inext.co.in

ALLAHABAD: अब करो बिंदा कमेंट। न कोई रोकने वाला न कोई टोकने वाला। फेसबुक पर निकालो अपनी भड़ास। दिल खोल कर लिखें मन की बात। किसी के बगावत से नाराज हो या फिर सिस्टम के प्रति दिल में भरा है गुस्सा। जो चाहे लिखो, जमकर करें शेयर। अब पुलिस नहीं करने वाली है अरेस्ट। जी हां, अब सोसल साइट पर किसी भी कमेंट को लेकर पुलिस नहीं करेगी कोई कार्रवाई। क्योंकि, सुप्रीम ने साफ कह दिया कि आईटी एक्ट की धारा म्म्ए के तहत नहीं होगी अरेस्टिंग। यह व्यक्ति के स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है।

कचहरी कांड पर मचा था बवाल

इलाहाबाद में इस निर्णय पर सबसे ज्यादा खुशी दिखाई कांग्रेसी नेता हसीब ने। क्क् मार्च को कचहरी में एडवोकेट नवी की हत्या के बाद सोसल साइट्स पर भी प्रोटेस्ट शुरू हो गए थे। इसमें भी दो गुट हो गए थे। एक पक्ष एडवोकेट नवी को शहीद बताते हुए आरोपी दरोगा को कातिल और हत्यारा बताने में जुटा था। वहीं दूसरी ओर कुछ लोग जिसमें पुलिस वाले भी शामिल थे, उसे हीरो बता रहे थे। इस दौरान कांग्रेसी नेता ने सोशल साइट पर दरोगा को कातिल बताया और उसे फांसी देने की मांग की। उसकी पिक्चर पर भड़काने वाले कमेंट पोस्ट किए। इसे लेकर कुछ लोगों ने विरोध जताया। मंगलवार को कांग्रेसी नेता ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, उसे पुलिस फर्जी फंसाने की कोशिश कर रही थी। दावा है कि पुलिस ने इस मामले में उस पर रिपोर्ट भी दर्ज कर ली थी। अब उसने राहत मिलेगी।

वाट्स एप वाले भी मजे में

फेसबुक से ज्यादा बातें अब वाट्स एप पर होने लगी हैं। इसका कारण ग्रुप में चैटिंग है। देश दुनिया की किसी भी बड़ी घटना होने पर चर्चा यहां कॉमन है। ज्यादा से ज्यादा लोग ग्रुप में चैट करते थे ताकि उनकी बातें बाहरी लोगों को पता न चले। कई बार एग्रेसिव बातें भी होती थी। कचहरी कांड में भी फेसबुक से ज्यादा बातें वाट्सएप पर हुई। मामला इतना बढ़ गया था कि एसएसपी को प्रेस नोट जारी करके भड़काने वाली पोस्ट्स को रोकने की रिक्वेस्ट करनी पड़ गई। उन्होंने चेतावनी भी दी थी कि मॉनिटरिंग में पकड़े जाने वालों से सख्ती से निबटा जाएगा। गु्रप एडमिन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने की धमकी दी गई। वाट्सएप ग्रुप चलाने वालों ने भी राहत की सांस ली है।

यह तो बहुत ही अच्छी खबर है। लेकिन, इसका लोग अब मिसयूज करेंगे। भड़काऊ बयानबाजी होगी। इस पर पब्लिक को खुद ध्यान देना होगा।

पीयूष पाण्डेय

अच्छा निर्णय है। हमें अपने विचारों का व्यक्त करने का पूरा अधिकार है। किसी को कुछ भी बोलने या कुछ लिखने पर अरेस्टिंग सही नहीं था।

मयंक वर्मा

अभिव्यक्ति का अधिकार मौलिक अधिकार है। इसे कुचलने की कोशिश हो रही थी। सत्ता में रहने वाले अपने तरीके से शासन चाहते थे। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने हमें हमारा अधिकार दिलाया है।

एडवोकेट विवेक मिश्रा

बहुत ही अच्छी बात है। किसी को अधिकार नहीं है कि वे सोशल साइट्स पर होने वाले कम्युनिकेशन पर रोक लगाए।

डॉक्टर अजीत सिंह

सुप्रीम कोर्ट न होता तो यहां पर सरकारें मनमाने तरीके से नियम कानून लागू कर देती। हर आदमी को अधिकार है वह सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाए। अपने मन की बात रखने का कोई तो प्लेटफॉर्म उसे मिले।

अंकित श्रीवास्तव

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बरकरार रखने वाले ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साइबर कानून की उस धारा को निरस्त कर दिया है जिसके तहत वेबसाइटों पर कथित अपमानजनक सामग्री डालने पर पुलिस को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार था। कोर्ट ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है।