नई दिल्ली (आईएएनएस)। जस्टिस रंजन गोगोई ने कल सु्प्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस (प्रधान न्यायाधीश) के रूप में शपथ ग्रहण की। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायर होने के बाद गोगोई देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश बने हैं। चीफ जस्टिस के रूप में रंजन गोगोई 13 महीने 15 दिन तक  कार्यभार संभालेंगे। खास बात यह है कि शपथ ग्रहण के बाद कल ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के मामलों के लिए नया रोस्टर जारी किया है।

सीजेआई द्वारा सौंपी गई पीआईएल सुनेंगे
नए रोस्टर के मुताबिक जनहित याचिकाओं वाले मामलों पर सुनवाई सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ व सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज मदन बी. लोकुर की पीठ करेगी। इसके अलावा सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ में सामाजिक न्याय, चुनाव, अदालत की अवमानना, बंदी प्रत्यक्षीकरण, संवैधानिक पदाधिकारी की नियुक्ति समेत अन्य मामलों पर भी सुनवाई की जाएगी। जज मदन बी. लोकुर की अगुवाई वाली पीठ सीजेआई द्वारा सौंपी गई पीआईएल सुनेंगे।

पीआईएल पर सुनवाई सीजेआई की पीठ में

पर्सनल लॉ मामलों पर पांच अलग-अलग जजों की पीठें सुनवाई करेगी। इसमें जस्टिस लोकुर,  जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस एनवी रमन्ना और जस्टिस यू. यू. ललित की अध्यक्षता वाली पीठें शामिल होंगी। इनके अलावा अब कोई भी मामला किसी भी पीठ को सुनवाई के लिए दिया जा सकता है। बता दें कि पूर्व सीजेआई दीपक मिश्रा ने फरवरी में नई रोस्टर प्रणाली पेश की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि पीआईएल पर केवल उनकी अगुवाई वाली पीठ में ही सुनवाई होगी।

इन दो मामलों में की जाएगी तत्काल सुनवाई
इतना ही नहीं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का पद संभालने के बाद रंजन गोगोई ने केसों की तत्काल सुनवाई को लेकर नियम बना दिए। उन्होंने कहा कि हर तरह के मामलों में तत्काल सुनवाई नहीं की जा सकेगी। तत्काल सुनवाई तब होगी जब कोई कल फांसी पर चढ़ने वाला है या फिर तब होगी जब किसी को उसके घर से बेदखल कर दिया गया हो। बता दें कि 18 नवंबर, 1954 को जन्में गोगोई ने 24 साल की उम्र में कानूनी सफर शुरू किया था। वह 1978 में वकील के रूप में रजिस्टर्ड हुए थे।

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