नई दिल्ली (एएनआई/पीटीआई)। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के बाद यहां लगे प्रतिबंधों और इंटरनेट बैन को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर आज फैसला सुनाया है। यहां लगे बैन को लेकर कोर्ट का सख्त रुख नजर आया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यहां पर प्रतिबंध लगाने के सभी आदेशों की एक हफ्ते में समीक्षा करने और बाद में उन्हें पब्लिक डोमेन में डालने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं किया जा सकता है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अस्पतालों, शैक्षणिक केंद्रों जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाली सभी संस्थाओं में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत लोगों को इंटरनेट की आजादी का हक है। इंटरनेट को मौलिक अधिकार के रूप में उपयोग करने का अधिकार है। कोई भी बैन ऑर्डर देते समय माइंड का इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धारा 144 का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता हैं। धारा 144 जरूरत पर पड़ने पर ही लगाए और इसे लंबे समय तक नहीं लगाया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था

सुप्रीम कोर्ट ने 27 नवंबर को जम्मू-कश्मीर में संचार, मीडिया और टेलीफोन सेवाओं पर लगाए गए प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद कहा था कि इस मामले में फैसला बाद में सुनाया जाएगा। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस एन वी रमना, आर सुभाष रेड्डी और बी आर गवई की पीठ ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन सहित विभिन्न याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई की थी।

आर्टिकल 370 के सभी प्रमुख प्रावधान खत्म

बीते 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के सभी प्रमुख प्रावधानों को खत्म करने का फैसला लिया गया था। इसके बाद सुरक्षा के लिहाज से फोन लाइनें और इंटरनेट जैसी सेवाएं यहां कुछ क्षेत्रों में रोकी गई थीं। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने 370 को हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले का विरोध किया था। सरकार द्वारा आर्टिकल 370 हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो संघ राज्य क्षेत्रों में विभाजित करने व बैन को लेकर कई याचिकाएं दायर हुईं थी।

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