कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Solar Eclipse 2021: 10 जून को साल 2021 का दूसरा ग्रहण और पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दौरान शुभ कार्य व पूजा-पाठ की भी मनाही होती है। ग्रहण के दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। हालांकि इस बार भारत में सूतक काल नहीं माना जाएगा। ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद डाॅक्टर त्रिलोकीनाथ के मुताबिक भारत में यह सूर्य ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण है। यह सिर्फ खगोलीय दृष्टि से विशेष माना जा रहा है। इसलिए इस बार सूर्य ग्रहण का सूतक काल भारत में नहीं लागू होगा। यह सूर्य ग्रहण अंटार्कटिका, दक्षिणी अमेरिका, प्रशांत महासागर क्षेत्र और दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका आदि में प्रभावशाली रहेगा।

ग्रहण से पहले इस तरह से माना जाता है सूतक काल
दृक पंचांग के अनुसार सूर्य ग्रहण व चंद्र ग्रहण से पहले का जो एक निश्चित समय को सूतक के रूप में जाना जाता है। सूर्य ग्रहण से पूर्व सूतक काल चार प्रहर तक माना जाता है तथा चंद्र ग्रहण के दौरान ग्रहण से पूर्व तीन प्रहर के लिए सूतक माना जाता है। सूर्योदय से सूर्योदय तक आठ प्रहर होते हैं। ऐसे में सूर्य ग्रहण से 12 घंटे तथा चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पूर्व से सूतक काल माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार सूतक काल के समय पृथ्वी का वातावरण दूषित होता है। इस दाैरान सूतक के अशुभ दोषों से बचने के लिए सावधानी रखनी चाहिए। ग्रहण एवं सूतक के दौरान खाद्य पदार्थों का सेवन निषिद्ध होता है। बच्चों रोगियों तथा वृद्धों के लिए भोजन मात्र एक प्रहर के लिए ही वर्जित माना जाता है।

सूतक व ग्रहण काल के दाैरान ये चीजें होती हैं वर्जित
वहीं गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण काल में बाहर न निकलने की मनाही होती है। मान्यता है कि राहु व केतु के दुष्प्रभाव के कारण शिशु शारीरिक रूप से अक्षम होने व गर्भपात की सम्भावनाएं भी बढ़ जाती है। इस दाैरान काटना और सिलना भी वर्जित होता है। तेल मालिश करना, जल ग्रहण करना, मल-मूत्र विसर्जन, मञ्जन-दातून करना तथा यौन गतिविधियों में लिप्त होना ग्रहण काल में प्रतिबन्धित माना जाता है। सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद स्वच्छ एवं ताजा बना हुआ भोजन खाना चाहिए। वहीं जो खाद्य पदार्थ पहले से बने रखे हाेते हैं उनमें ग्रहण पड़ने से पहले कुश घास तथा तुलसी दल डालकर ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचान चाहिए। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान आदि करके दान-दक्षिणा देना शुभ माना जाता है।

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