-सुशील मोदी, एमपी अजय निषाद और रेणु देवी ने संयुक्त बयान जारी कर आरोप लगाया

PATNA: अति पिछड़ी जातियों के साथ छल करने वाले नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के लिए बिहार का निषाद समाज हमेशा 'फुटबॉल' की तरह रहा है, जिसे चुनावी लाभ के लिए कभी इधर तो कभी उधर 'किक' मारा गया है। नौ साल पहले जिस प्रकार राबड़ी देवी ने निषादों को ठगा था ठीक उसी प्रकार एक बार फिर नीतीश कुमार ने भी छलने का काम किया है। संयुक्त बयान जारी करते हुए एक्स डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी, एमपी अजय निषाद व एमएलए रेणु देवी ने कहा।

अधिकारों को कुचलने वाले

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने निषादों को आदिवासी में शामिल करने की अनुशंसा कर इन्हें अब तक मिल रहे आरक्षण के लाभ से भी वंचित करने की साजिश की है। चुनाव के ऐन मौके पर निषादों पर लाठी बरसाने और उनके अधिकारों को कुचलने वाले नीतीश कुमार ने अपनी कैबिनेट की अंतिम बैठक में ठीक उसी प्रकार उन्हें आदिवासी यानी अजजा में शामिल करने की अनुशसा का निर्णय लिया है जिस प्रकार राबड़ी देवी ने अपनी कैबिनेट की अंतिम बैठक में 0ख् नवम्बर, ख्00ब् को नोनिया, बिंद, मल्लाह, कमार (लोहार और कर्मकार), बढ़ई, तुरहा, राजभर, चन्द्रवंषी (कहार, कमकर) को दलित यानी अनुसूचित जाति में अधिसूचित करने की अनुशंसा कर लिया था।

आदिवासी बनाने का प्रस्ताव

कहा कि दस साल तक केन्द्र में कांग्रेस की सरकार रही। नीतीश कुमार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मगर इन तमाम जातियों को अजा में शामिल कराने की कोई पहल नहीं हुई। आश्चर्य है कि तीन महीने पहले 08 जून, ख्0क्भ् को आधी-अधूरी रिपोर्ट के साथ जिन मल्लाहों को नीतीश कुमार दलित का दर्जा देने की अनुशंसा करते हैं उन्हीं को अब आदिवासी बनाने का प्रस्ताव कर रहे हैं। हकीकत है कि अनुसूचित जाति या जनजाति में शामिल करने का राज्य को कोई अधिकार ही नहीं है। इसके लिए तो संविधान में संशोधन करना पड़ता है, जो केन्द्र की सरकार ही कर सकती है।