कानपुर। 14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला में जन्मीं सुषमा स्वराज को पढ़ाई-लिखाई का काफी शौक था। सुषमा ने चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी से बीए एलएलबी किया और वकील बन गईं। वह सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस किरती थी। इस बीच उनका रुझान राजनीति की तरफ मुड़ा और धीरे-धीरे एक प्रखर नेता के रूप में दुनिया के सामने आईं। आइए जानें कैसा रहा था सुषमा का राजनीतिक सफर...

हरियाणा सरकार में बनी मंत्री

सुषमा स्वराज ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत हरियाणा से की थी। 25 साल की उम्र में उन्होंने विधायकी का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1977-79 तक वह हरियाणा सरकार की कैबिनेट मंत्री रही। इस दौरान उन्होंने श्रम एंव रोजगार मंत्रालय संभाला। यही नहीं सुषमा के नाम हरियाणा में सबसे कम उम्र की मंत्री बनने का रिकाॅर्ड भी दर्ज है। 1987 में सुषमा फिर से मंत्री बनी और इस बार शिक्षा, खाद्य एंव आपूर्ति मंत्रालय संभाला।  

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1990 में पहुंची राज्य सभा

साल 1990 में सुषमा स्वराज पहली बार संसद पहुंची। हालांकि उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा बल्कि राज्य सभा सदस्य मनोनीत हुईं थीं। इसके ठीक दो साल बाद वह ज्वाॅइंट कमेटी ऑफ कैटरिंग की चेयरपर्सन रहीं। इसके बाद 1994 में सुषमा को कमेटी ऑफ पिटीशन, राज्यसभा का चेयरपर्सन बनाया गया।

1996 में पहली बार जीता लोकसभा चुनाव

साल 1996 में सुषमा स्वराज ने साउथ दिल्ली से पहली बार लोकसभा चुनाव जीता। 13 दिन की वाजपेयी सरकार में वह केंद्रीय मंत्री रहीं और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय संभाला।

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1998 में दोबारा जीता लोकसभा चुनाव

साल 1998 में हुए 12वें लोकसभा चुनाव में सुषमा स्वराज ने साउथ दिल्ली से फिर से चुनाव जीता और संसद पहुंची। इस बार वह फिर से केंद्रीय मंत्री बनी और वाजपेयी सरकार ने उन्हें सूचना एंवा प्रसारण मंत्रालय सौंपा। साथ ही टेलिकम्यूनिकेशन मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी दिया।

1998 में बनी दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री

1998 में वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सुषमा स्वराज ने दिल्ली की राजनीति में कदम रखा और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि उसी साल दिसंबर में उन्होंने सीएम पद से रिजाइन कर दिया।

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2000 में फिर बनीं राज्यसभा सदस्य

साल 2000 में सुषमा स्वराज ने संसद में बतौर राज्यसभा सदस्य वापसी की। इसके बाद वह 2003 तक सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहीं। 2003 से 2004 तक सुषमा ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय संभाला। अपने राज्यसभा कार्यकाल में सुषमा ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी, एथिक्स कमेटी, कंसल्टेटिव कमेटी के चेयरपर्सन पद की जिम्मेदारी संभाली।

2006 में तीसरी बार बनीं राज्यसभा सदस्य

साल 2006 में सुषमा को तीसरी बार राज्यसभा सदस्य बनाया गया। इस दौरान वह पार्लियामेंट्री फोरम ऑन पाॅपुलेशन एंड पब्लिक हेल्थ और हाउस कमेटी की सदस्य रहीं।

2009 में पहुंची लोकसभा

साल 2009 में हुए 15वें लोकसभा चुनाव में सुषमा स्वराज ने विदिशा से चुनाव लड़ा और भारी बहुमत के जीतकर संसद पहुंची। इस दौरान वह स्टैंडिंग कमेटी ऑन एक्स्टरनल अफेयर्स की चेयरपर्सन रहीं।

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2014 में फिर जीता चुनाव

साल 2014 में हुए 16वें लोकसभा चुनाव में सुषमा फिर से सांसद बनी और इस बार मोदी सरकार में उन्हें विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई जिसे उन्होंने बखूबी निभाया।

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2019 में छोड़ दी राजनीति

2019 में हुए लोकसभा चुनाव में सुषमा स्वराज ने खराब स्वास्थ्य के चलते चुनाव नहीं लड़ा। यही नहीं निधन के वक्त वह किसी भी सदन की सदस्य नहीं थीं।

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