डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के आयुष विंग में 35 फीसदी मरीजों की हुई बढ़ोतरी

आयुर्वेद व होम्योपैथ के मुरीद मरीज ले रहे स्वाइन फ्लू से बचाव की दवा

BAREILLY:

स्वाइन फ्लू के बढ़ते डर के बीच लोगों में इस जानलेवा बीमार की दहशत के साथ ही जागरुकता भी बढ़ रही है। बीमार करने वाले इस मौसम में सामान्य सर्दी जुकाम को भी लोग स्वाइन फ्लू से अलर्ट के रूप में ले रहे हैं। लिहाजा, स्वाइन फ्लू के खतरे से बचने के लिए मरीजों ने भी स्वास्थ्य विभाग की एलोपैथी विधा ही नहीं बल्कि होम्योपैथी व आयुर्वेद का भी सहारा लेना शुरू कर दिया है। शहर में स्वाइन फ्लू की दहशत के बीच डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की आयुष विंग में भी मरीज इस बीमारी से बचाव के तरीके और इलाज के नुस्खे ले रहे।

25 फीसदी की बढ़ोतरी

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की आयुष विंग में होम्योपैथी, आयुर्वेद और यूनानी पद्धति से इलाज की व्यवस्था शुरू की गई है। पिछले एक हफ्ते से रोजाना औसतन तीनों पद्धति की ओपीडी में करीब 250-350 मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। डॉक्टर्स ने बताया कि आयुर्वेद व होम्योपैथी की ओपीडी में 25 फीसदी के करीब एकाएक मरीजों का आंकड़ा 130 के ऊपर पहुंचने लगा है। इनमें सामान्य फ्लू व वायरल से जुड़ी शिकायतों वाले मरीजों की तादाद भी बढ़ रही है। आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी पर ही भरोसा करने वाले ऐसे मरीज स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए भी आयुष विंग में इलाज के लिए दौड़ लगा रहे।

आयुर्वेद पर भरोसा बढ़ा

एलोपैथी में स्वाइन फ्लू का कारगर इलाज होने के अलावा आयुर्वेद भी इस बीमारी से बचाव के लिए असरदार दवाएं मुहैया होने का दावा करता है। दरअसल आयुवेर्दिक दवाएं शरीर की इम्यूनिटी पावर बढ़ाने में बेहद असरकारी है। आयुर्वेद के डॉ। इंद्रेश गुप्ता ने बताया कि आयुर्वेद में स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए अश्वगंधा चूर्ण, आरोग्य व‌र्द्धनी वटी और तुलसी वटी कारगर दवा हैं। इसके अलावा महासुदर्शन चूर्ण व संजीवनी वटी भी बेहद कारगर दवाएं हैं। वहीं गिलोय चूर्ण और इसका काढ़ा सुबह शाम पीने से मरीज की इम्यूनिटी पावर बढ़ती है। इसके अलावा गिलोय का जूस भी सुबह शाम पीने से इस बीमारी के वायरस की चपेट में आने का खतरा कम रहता हैं। साथ ही अभ्रक की भस्म को अदरक और शहद के साथ मिलाकर खाने से भी इस बीमारी में बचाव व राहत ि1मलती है।

साइड इफेक्ट्स में भी असरकारी

अक्सर स्वाइन फ्लू के बाद इस बीमारी के साइड इफेक्ट्स भी मरीज को कई दिन तक बिस्तर पकड़े रहने को मजबूर करते हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक स्वाइन फ्लू से निपटने के बाद अक्सर मरीज को निमोनिया की भी दिक्कत हो जाती है। ऐसे में कमजोर पड़ चुके शरीर को मजबूत करने और इम्यूनिटी पॉवर बढ़ाने के लिए आयुर्वेद की दवाएं बेहद फायदेमंद होती हैं। इनमें शीतोप्लादी चूर्ण, चित्रक हरितकी अवलेह और लक्ष्मी ब्लास रस बेहद असरदार हैं। छोटे बच्चों को जहां शहद या मिश्री में 2 से 5 ग्राम तक इन दवाओं की खुराक दी जाती है। वहीं बड़ों में गुनगुने पानी के साथ 10-20 ग्राम दवा की खुराक दी जाती है।

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फ्लू पर होम्योपैथी से मदद

आयुष विंग में होम्योपैथ की फिजिशियन डॉ। सरोज सिंह ने बताया कि होम्योपैथी में स्वाइन फ्लू से पहले से बचाव के लिए तो कोई भी खास दवा नहीं है। मरीज की पर्सनलिटी, उसकी इम्यूनिटी और बीमारी के साइन व सिम्पटम्स के मुताबिक ही उसे दवा दी जाती है। लेकिन अगर मरीज को स्वाइन फ्लू हुआ भी है या इससे मिलते जुलते सिम्पटम्स हैं तो उसके लिए होम्योपैथी में उपलब्ध दवाएं अच्छा रिजल्ट देती हैं। पिछले साल स्वाइन फ्लू फैलने पर होम्योपैथी की इन्फेल्जियम दवा की खपत काफी बढ़ गई थी। जिसके चलते होम्योपैथी की दवाओं से मरीजों में अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने और बीमारी में राहत मिलने का भरोसा तेजी से बढ़ा था।