-चिंता में टायो रोल्स लिमिटेड के जमीनदाता

-200 जमीनदाता बतौर कर्मचारी कर रहे हैं काम

-लगातार घाटे में चल रही है कंपनी

-नौकरी गई तो हो जाएंगे बेरोजगार

JAMSHEDPUR: बीआईएफआर में जा चुकी टायो रोल्स लिमिटेड के बंद होने की आशंका से कर्मचारियों के साथ-साथ अब जमीनदाता भी चिंता में पड़ गए हैं। उन्हें यह भय सता रहा है कि जमीन तो चली गई है। अब अगर कंपनी भी बंद हो गई तो परिवार कैसे चलेगा। यही वजह है कि गम्हरिया में कंपनी के लिए जमीन देने वाले दाता अब गोलबंद होने लगे हैं। यह लोग बहुत जल्द इस संबंध में प्रबंधन से मुलाकात करने वाले हैं। जमीनदाताओं का कहना है कि कंपनी की स्थापना के लिए हमलोगों ने अपनी जमीन दी थी। इसके बदले में समझौते के अनुसार कई लोगों को कंपनी में नौकरी मिली थी। वर्तमान में करीब ख्00 जमीनदाता बतौर कर्मचारी यहां काम कर रहे हैं। जमीन जाने के बाद इनका परिवार कंपनी से ही चल रहा है।

जमीन वापस मांगने पर विचार

लगातार घाटे में चल रही कंपनी अगर बंद होती है तो वे लोग बेरोजगार हो जाएंगे। ऐसे में वे चाहते हैं कि अगर कंपनी बंद भी होती है तो वर्तमान में जो वेतन उन्हें मिल रहा है, वह उनके खाते में भेजा जाता रहे वरना वे लोग कंपनी से जमीन वापस मांगने पर विचार करेंगे। जमीनदाताओं का कहना है कि भूमि अधिग्रहण विधेयक ख्0क्भ् में इस बात का उल्लेख है कि अगर कोई कंपनी जमीन अधिग्रहण करने के पांच साल बाद तक उत्पादन शुरू नहीं करती है तो उसे जमीनदाता को जमीन वापस करनी होगी।

यूनियन अध्यक्ष व महासचिव से नाराज

टायो कर्मचारियों में टायो वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष राकेश्वर पांडेय और महासचिव विनोद राय के प्रति भी काफी आक्रोश है। इनका कहना है कि यूनियन कर्मचारियों को इस संकट से उबारने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही है। ऐसे में दोनों मजदूर नेताओं का पुतला दहन कर विरोध जताया जाएगा।

प्रबंधन हाथ खड़े कर चुका है। फिर भी टायो वर्कर्स यूनियन कंपनी को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। कानूनी राय भी ली जा रही है। पिछले दिनों टाटा स्टील के एमडी से भी कंपनी को बचाने के लिए पत्राचार किया गया था। रही बात नियुक्तियों की तो इस विषय में यूनियन ने प्रबंधन से जानकारी मांगी है।

-राकेश्वर पांडेय, अध्यक्ष, टायो वर्कर्स यूनियन।