स्मार्टफोन देना है खतरनाक

स्मार्टफोन के घर-घर पहुंचने के बाद यह एक काफी आम घटना है कि माएं और घर के अन्य लोग बच्चे के रोने पर उसे स्मार्टफोन पकड़ा देते हैं. अगर इसके त्वरित प्रभाव को देखा जाए तो ऐसा करने से बच्चे शांत हो जाते हैं जिससे घरवालों को अपने काम निपटाने में मदद मिलती है. लेकिन बच्चों को चुप कराने का यह तरीका बच्चों के सोशल और इमोशनल विकास को प्रभावित कर सकता है. ऐसा कहना है कि कुछ रिसर्चर्स का जिन्होंने बच्चों पर स्मार्ट डिवाइसों के प्रभावों का अध्ययन किया है.

एजुकेशनल बेनिफिट्स हैं लेकिन

रिसर्चर्स का कहना है कि इंटरेक्टिव मीडिया जैसे स्मार्टफोन बच्चों को एजुकेशनल बेनिफिट तो दे सकता है. लेकिन किसी बच्चे के रोने पर उन्हें शांत करने के मकसद से स्मार्टफोन और टेबलेट पकड़ा देना हानिकारिक हो सकता है. रिसर्च ने प्रश्न उठाया कि बच्चों को इस तरीके से शांत कराने और उनके ध्यान को भटकाने के लिए अगर इन तरीकों को यूज किया जाए तो क्या बच्चे आत्म-नियमन के आंतरिक तंत्र को डेवलप कर पाएंगे. बोस्टन यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन के जेनी रादेस्की का कहना है कि इस बात पर पहले ही रिसर्च हो चुकी है कि बच्चों के टीवी देखने के समय को बढ़ाने से उनकी भाषायी और सामाजिक कुशलता में कमी आती है. इसी तरह स्मार्टफोन के इस्तेमाल से बच्चों और उनके आसपास रहने वाले लोगों के बीच संवाद में कमी आती है. यह रिसर्च पीडियाट्रिक्स मैगजीन में पब्लिश हुआ था.

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