पिछले साल एफएसडीए का वर्क
-4447 शॉप्स पर की चेकिंग
-1932 शॉप्स पर छापेमारी
-2270 सैंपल की जांच रिपोर्ट गायब
-15 दिन लगभग आ जाती है रिपोर्ट
फ्लैग- एफएसडीए का यह कैसा वर्क
- एफएसडीए ने मिलावटी सामान की जांच में किया खेल, पिछले साल की रिपोर्ट पर नहीं हुई कार्रवाई
- सैंपल फेल होने पर नहीं होती कार्रवाई, सुविधा शुल्क लेकर कर दिया जाता सेटलमैंट
बरेली : शहर में होली, दीपावली और दूसरे किसी फेस्टिवल पर एफएसडीए अभियान चलाकर मिलावटखोरों पर शिकंजा कसता है लेकिन यह कैसा वर्क है, जो अफसर सैंपल लेकर रिपोर्ट तो बनाते हैं, लेकिन कार्रवाई किसी पर नहीं करते हैं। साल 2019 में एफएसडीए ने करीब 2270 दुकानों से फूड सैंपल लिए थे। जिनकी रिपोर्ट लगभग 15 दिन बाद ही आ गई लेकिन एक साल से ज्यादा टाइम होने पर भी किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई जिससे साफ है ये शॉप ओनर्स इस बार भी बरेलियंस को मिलावटी सामान ही खिलाएंगे।
रिपोर्ट कर दी गायब
साल 2019 में विभाग ने शहर की प्रमुख दुकानों पर छापेमारी कर 2270 प्रतिष्ठानों से मावा, नमकीन, दाल, मिठाई का सैंपल लेकर रिपोर्ट लखनऊ भेजा था लेकिन इन सैंपल की जांच रिापोर्ट गायब कर दी गई है। हालांकि एफएसडीए दावा कर रहा है कि उनके पास रिपोर्ट है लेकिन सवाल उठता है कि जब रिपोर्ट है तो कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
बीमारी से बच जाते बरेलियंस
फेस्टिव सीजन में इन सैंपल की रिपोर्ट के आधार पर अगर विभाग कार्रवाई करता तो बरेलियंस इन प्रतिष्ठानों से सामान की खरीद करने से बचते लेकिन विभाग की ओर ऐसा नहीं किया गया जिस कारण बरेलियंस असमंजस में है कि कहां से सामान खरीदें।
छापेमारी पर कार्रवाई नहीं
साल 2019 में एफएसडीए की ओर से शहर में 4447 प्रतिष्ठानों पर औचक निरीक्षण और 1932 दुकानों पर छापेमारी की गई थी लेकिन इसके बावजूद भी इन दुकानों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे साफ होता है कि अधिकारियों ने दुकानदार संचालकों से साठगांठ कर मामला रफा-दफा कर दिया।
अवेयरनेस के दावे भी हवा
शासन के निर्देश पर एफएसडीए की ओर से शहर में दुकानों पर एक नोटिस चस्पा कराया जाना था जिस पर फूड इंस्पेक्टर के नंबर लिखा होना था। ऐसा इसलिए किया जाना था जिससे खाद्य पदार्थ में किसी भी प्रकार की कमी मिलने पर मामले की शिकायत की जा सके लेकिन विभाग ने इस योजना को भी पलीता लगा दिया।
अफसर करें चेकिंग
1. त्यौहार पर लोगों को मिलावट मुक्त सामान मिल सके इसलिए विभाग को निरीक्षण करना चाहिए। हालांकि बड़े व्यापारी नाम न खराब होने की वजह से ऐसा नही करते हैं।
राजेंद्र गुप्ता, अध्यक्ष उप्र उद्योग व्यापार मंडल
कुछ दिनों पहले विभाग की ओर से कुछ लोग दुकानों पर आए थे, लेकिन सैंपल नहीं लिए। अफसरों को कार्रवाई करनी चाहिए जिससे लोग मिलावटी सामान खाने से बचें।
राजेश जसौरिया, महानगर महामंत्री, उप्र उद्योग व्यापार मंडल
वर्जन
जांच रिपोर्ट विभाग के पास मौजूद है। समय-समय पर निरीक्षण भी किया जाता है। लोगों को अवेयर करने के लिए टीम गठित की है।
धर्मराज मिश्र, मुख्य अभिहित अधिकारी।