KANPUR :रतनलाल नगर के लोहा कारोबारी शिव आसरे सिंह के बेटे जितेंद्र की डेडबॉडी नाले से बरामद हुई। जितेंद्र का मर्डर उसके अपने ही दोस्तों ने 20 लाख की फिरौती के लिए कर डाला। शहर में इस तरह की घटना पहली बार नहीं हुई बल्कि करण महेश्वरी हत्याकांड, शिवम हत्याकांड, नैसी हत्याकांड, कनिष्क हत्याकांड में भी कत्ल की वजह एक ही थी। मरने वाले की आवारा लडक़ों से दोस्ती और गलत संगत। साइकलोजिस्ट्स का कहना है कि सही पेरेंटिंग की कमी की वजह से ऐसी घटनाएं होती हैं। अगर पेरेंट्स अपने बच्चों के प्रति अवेयर रहें, दोस्त बनकर उनके साथ समय बिताएं तो बच्चे भी अपनी हर इच्छा को पेरेंट्स से शेयर करते हैं। जिससे ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है। जितेंद्र के पेरेंट्स को भी अफसोस है कि काश वो बेटे की संगत और सोहबत पर ‘दोस्ताना’ नजर रखते तो हादसा नहीं होता।

करण माहेश्वरी तो याद ही होगा

किदवईनगर में रहने वाले ट्रांसपोर्टर पवन महेश्वरी के 14 साल के बेटे करण का मर्डर उसके दोस्तों ने रुपए के लालच में किया था। रेलबाजार में रहने वाला जय नारायण उर्फ जैकी, अभिषेक और दूसरे दोस्तों के साथ करण को उसके घर से क्रिकेट मैच खेलने के बहाने ले गया था। जिसके बाद करण को अपने घर में बंधक बनाकर दो लाख रुपए फिरौती की मांग की। मगर, फिरौती लेने के बावजूद करण को नहीं छोड़ा गया। किडनैपर्स को डर था कि करण उन्हें पहचान चुका है और उसे छोडऩे पर पुलिस उन तक पहुंच जाएगी। इसलिए करण के दोस्तों ने उसको कत्ल कर घर में ही दफना दिया। कॉल डिटेल्स के जरिए पुलिस ने बाद में किडनैपर्स को दबोच लिया। करण के पिता कहते हैं कि अपनी उम्र से बड़े लडक़ों से दोस्ती करने पर उन्होंने बेटे को कई बार टोका था। लेकिन वह कहता था कि वे उसके दोस्त नहीं, बल्कि बड़े भाई जैसे हैं। अगर खुद बेटे को दोस्त बनकर समझाया होता तो शायद वह आज भी उनके बीच होता.  

शिवम बाजपेई हत्याकांड

नौबस्ता थानाक्षेत्र में रहने वाले बीएल पाण्डेय का नाती 17 साल का शिवम बाजपेयी उनके पास रहकर पढ़ाई करता था। क्रिकेट मैच खेलने के दौरान उसकी दोस्ती क्षेत्र के संजय यादव से हो गई। संजय एक दिन मैच खेलने के बहाने शिवम को घर से ले गया। जिसकेबाद उसने बाकी दोस्तों के साथ मिलकर शिवम को बंधक बना लिया और 10 लाख फिरौती की मांग की। शिवम के घरवाले फिरौती की रकम का इंतजाम करने में लग गए इधर दोस्तों ने शिवम का मर्डर कर शव नहर में फेंक दिया। पुलिस ने केस का खुलासा किया तो आरोपियों ने बताया कि पकड़े जाने के डर उन लोगों ने शिवम का मर्डर कर दिया था। शिवम के नाना बीएल पाण्डेय कहते हैं कि कहीं न कहीं उनकी ही गलती थी जो बेटे की संगत को पहचान नहीं पाए।

नैंसी के दोस्त ही बन गए कातिल

चकेरी में अपने नानी-नाना के पास रहकर पढ़ाई कर रही बीए स्टूडेंट नैैंसी की लाश उसके घर से बरामद हुुई। घटना के वक्त नैंसी घर में अकेली थी। पुलिस ने फेसबुक प्रोफाइल और कॉल डिटेल्स के जरिए नैंसी के दोस्तों गौरव और मैडी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस जांच में निकला कि नैंसी की पड़ोस के ही कई लडक़ों से दोस्ती थी। फेसबुक और मोबाइल के जरिए वो रात-रात भर उनसे बातें किया करती थी। पुलिस के मुताबिक गौरव को नैसी का मैडी से बात करना पसन्द नहीं था। इसलिए वो फोनकर रात को नैैंसी के घर पहुंचा। वहां बैठकर शराब पी और बाद में नैंसी का कत्ल कर दिया। नैंनी के नाना-नानी का कहना था कि उन्हें तो पता ही नहीं चला कि बिटिया की किससे दोस्ती है वरना ऐसी नौबत नहीं आती।

"इस एजग्रुप में बच्चों के हर तरह के दोस्त मिलते हैं और बनते हैं। इसलिए पेरेंट्स का रोल बहुत इम्पॉर्टेंट हो जाता है। पेरेंट्स को अपने बच्चों से नजदीकी बनाए रखना बहुत जरूरी है। बच्चों को कभी भी ऐसा फील नहीं होने देना चाहिए कि वो अकेले हैं और उनकी बात सुनने वाला घर पर कोई नहीं है। आप अपने बच्चे के दोस्त बनकर रहें। उसकी बातों को सुने और प्यार से उसकी गलतियों को बताएं और उन्हें सही करने में मदद करें."

-डॉ। एलके सिंह, साइकोलॉजिस्ट

"इस मेटेलिस्टिक होते जा रहे वल्र्ड में बच्चों के अंदर भी जल्द से जल्द पैसा कमाने की प्रवत्ति होती जा रही है। अपने सराउंडिंग में होने वाली एक्टिविटी उन पर बुरा असर डालती हैं। मोरल वैल्यूज डाउन हो रही हैं। ऐसे में घर के माहौल को हेल्दी और साफ-सुथरा रखना बहुत जरूरी है। क्योंकि बच्चे सबसे पहले अच्छी हो या बुरी, सभी आदतें अपने घर से ही सीखते हैं। "

-डॉ। मंजू जैन, एसोसिएट प्रोफेसर, सोशलॉजी, एसएनसेन पीजी कॉलेज

"18 साल से कम उम्र के बच्चों में कंडक्ट डिसआर्डर होता है और 18 साल से ज्यादा उम्र वालों में एंटीसोशल पर्सनैलिटी डेवलप होने लगती है। ऐसे बच्चे किसी की बात नहीं सुनते हैं। गुस्सैल होते हैं और गैंग एक्टिविटी करते हैं। इसके अलावा बिना बताए कई-कई दिन घरों से बाहर रहते हैं। ऐसी स्थितियों में पेरेंट्स को बहुत ध्यान देने की जरूरत होती है। इसके अलावा पेरेंट्स को ये भी देखना चाहिए कि उनका बच्चा घर पर कितना वक्त बिताता है."

-डॉ। उन्नति कुमार, रिलेशनशिप एक्सपर्ट

पेरेंट्स ऐसे पेश आएं बच्चों के साथ

-बच्चों की हर बात पर रोक-टोक न लगाएं।

-बच्चों के साथ दोस्त बनकर रहें, उनके साथ बातों को शेयर करें।

-पहले छोटी-छोटी बातों से शुरूआत करें।

-बच्चों को कोई ऐसा मौका न दें कि उन्हें छोटी से बात के लिए भी झूठ बोलना पड़े, क्योंकि छोटे झूठ से ही बड़े झूठ की शुरूआत होती है।

-बच्चों के फ्रेंड सर्कल के बारे में जानकारी जरूर रखें।

-अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा किसी गलत संगत में फंस रहा है तो एक अच्छे दोस्त की तरह उसे समझाने की कोशिश करें, कड़ाई से लिए गए फैसले खतरनाक हो सकते हैं।

-क्योंकि पीयर ग्रुप प्रेशर की वजह से आपके मना करने के बाद भी बच्चा चोरी-छिपे वही काम करेगा।

-अपने बच्चों के दोस्तों घर पर इनवाइट करें, उनके साथ वक्त बिताएं और उनके बारे में जानने की कोशिश करें।

-इस एजग्रुप में बच्चों के साथ सख्ती नुकसानदायक होती है, इसलिए प्यार से दोस्त की तरह बातों को समझाने का प्रयास करें।

-इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चों की गलत जिद को पूरा न करें, क्योंकि एक बार ऐसा करने से उनकी आदत खराब हो जाती है।

हर किसी से दोस्ती ठीक नहीं

-नए लोगों से सोच-समझ कर ही दोस्ती करें।

-अगर घर लौटने में देर हो रही हो तो पेरेंट्स को पहले इनफार्म कर दें।

-अपनी सभी छोटी-बड़ी बातों को पेरेंट्स के साथ शेयर करें।

-अगर किसी परेशानी में फंस गए हों तो पहले पेरेंट्स से डिसकस करें, उसका हल आसानी से निकल जाएगा।

-घर वालों से ज्यादा बाहर वालों पर भरोसा न करें।