26 स्कूली बसें पहुंची चेकिंग के लिए

25 स्कूली वैन भी आई

21 बिंदुओं पर बसों की होनी थी जांच

14 बिंदुओं पर चेक होनी थीं स्कूल वैन

- ट्रांसपोर्ट नगर फिटनेस सेंटर पर चेकिंग के लिए बुलाए गए थे स्कूली वाहन

- फॉर्म भरवा कर वापस भेज दिए गए स्कूली वाहन मालिक

LUCKNOW: ये लो फॉर्म, भरो और जाओ, साहब को शादी में जाना है। ये नजारा संडे को ट्रांसपोर्ट नगर स्थित फिटनेस ग्राउंड पर देखने को मिला। जहां स्कूली वाहनों को चेकिंग के लिए बुलाया गया था। यहां स्कूली वाहनों की संख्या कम दिखी और अधिकारियों ने भी चालकों को बस फॉर्म भरवाकर वापस कर दिया। स्कूली वाहनों में कदम-कदम पर खामियां थीं जो चेकिंग करने वाले अधिकारियों को नजर नहीं आई। शाम 4 बजे तक चलने वाली जांच 1 बजे ही खत्म हो गई और जांच करने वाले अधिकारी घर चले गए।

दिखाई दिए अधूरे मानक

चेकिंग के दौरान स्कूली वाहनों में सीसीटीवी और जीपीएस नहीं मिले। कई वाहनों में मेडिकल किट एक्सपायर्ड हो चुकी थी तो कई में अग्निशमन यंत्र पुराने थे। वहीं कई वाहनों में तो मेडिकल किट और अग्निशमन यंत्र ही नहीं थे। कई वाहनों में ड्राइवर की साइड वाले दरवाजे पर ड्राइवर का नाम, मोबाइल नंबर, फिटनेस वैधता, लाइसेंस नंबर तक नहीं लिखे थे। कई वाहनों में जर्जर फर्श के ऊपर फ्लोरिंग तक बिछी थी लेकिन चेकिंग दस्ते को यह दिखाई नहीं दिया।

फॉर्म भरो और जाओ

बस एक फॉर्म भरवाने के बाद स्कूली वाहनों को छोड़ दिया गया। अधिकारियों ने वाहनों की जांच करने की कोशिश तक नहीं की। स्कूली वाहन मालिकों को यह समझ ही नहीं आ रहा था कि उन्हें यहां बुलाया क्यों गया है।

कोट

मेरे साथ आरआई उमेश को यहां चेकिंग के लिए लाया गया है। इसके अलावा दो बाबू भी आए हैं। वाहनों की जांच के लिए फॉर्म भर दिए गए हैं। इन्हें प्रवर्तन दस्ते के पास भेज दिया जाएगा।

संजय गुप्ता, आरआई, आरटीओ ऑफिस

बॉक्स

साहब चले गए शादी में

स्कूली वाहन मालिकों को सुबह 10 बजे फिटनेस ग्राउंड बुलाया गया था, वहीं अधिकारी आधा घंटा देर से यहां आए। 1 बजे के बाद एक आरआई वहां से गायब हो गए। बताया गया कि उन्हें शादी में जाना था। बसों की जांच कर रहे यह आरआई भरे गए फॉर्म भी अपने साथ ले गए।

बॉक्स

खुला स्पीड गवर्नर का खेल

स्कूली वाहन चालकों ने बताया कि हमारे वाहनों की अधिकतम स्पीड 40 किमी प्रति घंटा होनी चाहिए। इसके लिए हमने वाहनों में स्पीड गवर्नर भी लगा रखे हैं, लेकिन ये काम नहीं कर रहे हैं। हमारे वाहन 60 और 80 किमी की स्पीड से दौड़ रहे हैं। फिटनेस टेस्ट में भी इसका खुलासा हो चुका है।

कोट

वाहन मालिक बोले

समझ नहीं आ रहा, यहां क्यों बुलाया गया। यहां कोई बताने वाला भी नहीं है। सीसीटीवी और जीपीएस लगवाने की बात हो रही है लेकिन ये कहां लगेंगे, इनकी डिटेल किसे देनी है, कुछ नहीं बताया जा रहा है।

सतीश सिंह

स्कूली वाहनों को लेकर कई बार अभियान चलता है लेकिन कोई क्लीयर कट गाइडलाइन नहीं है। हम सब को भी मासूमों की सुरक्षा की काफी चिंता है। समस्या यह है कि आरटीओ के अधिकारी कुछ सही से बताते ही नहीं हैं।

मो। इजहार

स्कूली वाहनों में सुरक्षा मानकों को परखने के लिए यहां बुलाया गया है लेकिन स्कूली वाहन को लेकर अभी कंफ्यूजन दूर नहीं हुआ है। विभागीय अधिकारी उसे ठीक करने की कोशिश में लगे हुए हैं।

मुनि त्रिपाठी