Cast: अजय देवगन, सैफ अली खान, काजोल, शरद खेलकर, लुके केनी

Director: ओम राउत

कहानी

कहानी मराठा साम्राज्य के महान सूबेदार तानाजी (अजय देवगन) के बारे में है पर केवल तानाजी पर फोकस्ड नहीं है। तानाजी, शिवाजी के बेस्ट फ्रेंड थे। मिट्टी से बढ़कर कुछ नहीं था उनके लिए। तानाजी को भनक लगी कि औरंगजेब ने अपने ट्रम्प कार्ड उदयभान को मराठाओं की नाक नीची करने के लिए इस्तेमाल किया है। पर तानाजी नेे अपनी इंटेलिजेंस से ऐसी प्लानिंग रची कि उदयभान ने घुटने टेक दिए।

क्या पसंद आया?

फिल्म में भाषणबाजी नहीं है, बेवजह का मेलोड्रामा नहीं है। एकदम एक्शन पर फोकस है। डायलॉगबाजी से ज्यादा तलवारबाजी है और यह अच्छी बात है। युद्ध को प्रॉपर एक्शन पैक्ड दिखाया गया है। फिजूल की घटनाएं नहीं हैं, कान फाडू बैकग्राउंड म्यूजिक नहीं है। यह भंसाली सिंड्रोम से ग्रसित नहीं है, इसलिए हेवी कॉस्ट्यूम और सेट पर बजट वेस्ट नहीं किया गया है। स्पेशल इफेक्ट्स और यूनिक एक्शन सीन्स वर्ल्ड क्लास हैं। लंबे वक्त बाद खलनायक, खलनायक जैसा बिहेव करता नजर आया है।

क्या पसंद नहीं आया?

हिस्ट्री के साथ सिनेमेटिक लिबर्टी ली गई है, जहां थोड़ी चूक हुई। देशभक्ति का ओवरडोज कुछ सीन्स में खलता है। अदाकारी: सैफ, कहां थे आप? ओमकारा के 'लंगड़ा त्यागी' को टफ कम्पीटिशन दिया है इस खलनायक ने। 'खिलजी', 'अब्दाली', सब भूल जाएंगे आप। उदयभान (सैफ) शोले के खूंखार खलनायक गब्बर की याद दिलाता है। अजय गोलमाल सिंड्रोम से लंबे वक्त बाद बाहर आए हैं। बस इतना समझ लो कि सिंगल थिएटर वाला एक्शन हीरो इज बैक। काजोल के हिस्से कम सीन हैं लेकिन नो ओवरएक्टिंग, एकदम लाजवाब काम।

फाइनल वर्डिक्ट

सिंगल स्क्रीन थिएटर्स में तो ताली और सिटी बजते देर नहीं लगेगी। बड़े शहरों में भी फिल्म धमाल करेगी। बॉक्स ऑफिस प्रीडिक्शन डेफिनेटली 100 करोड़ रुपए को पार करेगी।

स्टार: 3.5

Reviewd By: Anu

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