RANCHI: अब अगर टैक्स चोरी करते हैं। जीएसटी फाइल नहीं करते हैं। गलत रजिस्ट्रेशन कराकर जीएसटी का फायदा उठाते हैं तो पकड़े जाएंगे। राज्य सरकार जीएसटी का सही तरके से उपयोग करने और टैक्स कलेक्शन बढ़ाने के लिए जीएसटी प्रो एनालिटिक सॉफ्टवेयर डेवलप कर रही है। कर्नाटक एनआईसी द्वारा यह सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार हर साल 18 लाख रुपए खर्च करेगी। यह सॉफ्टवेयर कैसे काम करेगा इसको लेकर सेल्स टैक्स विभाग के अधिकारियों को ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है।

रिटर्न नहीं मिलने पर सेल्फ अलर्ट

सरकार टैक्स चोरी पकड़ने के लिए जीएसटी रिटर्न का मिलान करेगी। इसके लिए एक खास सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। इसके जरिये अब जीएसटी रिटर्न का मिलान किया जाएगा। इसके लिए खास सॉफ्टवेयर बन रहा है, जिसमें रिटर्न नहीं मिलने पर सिस्टम खुद अलर्ट करेगा। सॉफ्टवेयर तैयार नहीं होने तक चुनिंदा मामलों की निगरानी की जा रही है। शुरुआत में सिर्फ बड़े मामलों पर ही नजर रहेगी, आगे चलकर ई.वे बिल को भी इसमें शामिल किया जाएगा।

जीएसटी के नाम पर हो रही चोरी

फिलहाल जीएसटी के तहत दो तरीके से टैक्स चोरी हो रही है। कई लोग फ र्जी बिल के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट ले रहे हैं। इसके अलावा, कारोबार को कम करके बताया जा रहा है। इसका मतलब है कि प्रॉडक्ट की खरीदारी और बिक्री बगैर बिल के हो रही है। ई-इनवॉयस के जरिये सरकार रियल-टाइम पर ट्रांजेक्शन को पंजीकृत करेगी। इससे कंपनियों को अपना टैक्स क्रेडिट हासिल करना भी आसान हो जाएगा। अगर इसमें फ र्जी इनवॉयस का इस्तेमाल किया गया है तो सॉफ्टवेयर तत्काल कदम उठाने में सक्षम होगा।

वर्जन

जीएसटी में फर्जी रोकने के लिए जीएसटी प्रो एनालिटिक सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। कोई अगर चोरी करता है तो सॉफ्टवेयर अलर्ट कर देगा। यह सॉफ्टवेयर कैसे काम करेगा, इसकी ट्रेनिंग भी हो चुकी है।

आरपी वर्णवाल, ज्वाइंट सेल्स टैक्स कमिश्नर, रांची