वाशिंगटन (एएनआई)। वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टीबी वैक्सीन नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण को धीमा कर सकता है ऐसा परीक्षण चल रहा है। अन्य शोधकर्ताओं ने बृहस्पितवार को इस संबंध में पोलियो वैक्सीन को लेकर एक साइंटिफिक जर्नल में लिखा है। टीबी और पोलियो के वैक्सीन का पहले से ही करोड़ों लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे शरीर की जन्मजात इम्युनिटी क्षमता पर दुष्प्रभाव की आशंका कम ही है। उम्मीद है कि इससे इंसान को बीमार करने वाले परजीवियों जिनमें नोवल कोरोना वायरस भी शामिल है, को सीमित किया जा सकता है।

कोविड-19 से लड़ने में केवल टीबी वैक्सीन काम की

टीबी के वैक्सीन को बैसिलस कालमेट ग्यूरिन भी कहा जाता है, जिसे शार्टकट में बीसीजी कहा जाता है। इसका परीक्षण अमेरिका, नीदरलैंड्स और आस्ट्रेलिया में शुरू हो चुका है। टेक्सास एएंडएम हेल्थ साइंस सेंटर में माइक्रोबायल पैथेजेनसिस एंड इम्युनोलाॅजी के प्रोफेसर जेफ्रे डी सिरिलो ने कहा कि मौजूदा समय में दुनिया में केवल यही एक वैक्सीन है जो कोविड-19 से लड़ने में मददगार साबित हो सकती है। वैक्सीन इम्युन सिस्टम को बीमार करने वाले जीवाणुओं से लड़ना सिखाने के लिए बनी थी। लेकिन सालों से वैक्सीन में जीवित, कमजोर जीवाणुओं का इस्तेमाल होता है ताकि वे प्रभावी हो सकें।

टीबी वैक्सीन से इम्युन सिस्टम मजबूत करना है लक्ष्य

टीबी वैक्सीन शरीर में संक्रमण जिनमें सांस संबंधी बीमारियों से लड़ने के लिए इम्युन रिस्पांस को एक्टिवेट करता है। वाशिंगट पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, यह आइडिया कोविड-19 से बचाव का का नहीं बल्कि शरीर को बीमार करने वाले जीवाणुओं से आंतरिंक इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाने का है। इम्युनिटी बूस्ट करने में वायरस भी शामिल है। कोरोना वायरस से संक्रमण को लेकर शोध करने के लिए ट्रायल शुरू कर दिया गया है। इसमें शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों पर भी नजर रखी जा रही है। यदि सब ठीक रहा तो कोरोना वायरस से संक्रमण की दूसरी लहर को रोका जा सकता है।

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