- जिला अस्प्ताल में टीबी के मरीज के साथ ही सोने को मजबूर अन्य मरीज व तीमारदार

- एक दिन बीतने के बाद भी मरीज को टीबी वार्ड में नहीं किया शिफ्ट

बरेली : एक ओर शासन 2024 तक देश को टीबी मुक्त बनाने पर जोर दे रहा है, लेकिन जिला अस्पताल शासन की इस मंशा को पलीता लगाने में जुट गया है। टीबी का संक्रमण घातक होता है। बावजूद इसके अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में टीबी के मरीज को भर्ती कर लिया गया। टीबी के मरीजों के लिए जिला अस्पताल में दो वार्ड बने हुए हैं, बावजूद इसके अन्य मरीजों की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है।

बताने के बाद भी नहीं किया शिफ्ट

टयूजडे रात करीब 9 बजे प्रेमनगर क्षेत्र के मोहल्ला चाहबाई निवासी नरेश की घर में अचानक सांस फूलने लगी। हालत ज्यादा बिगड़ने लगी तो नरेश की पत्‍‌नी पे्रमवती अपने बेटे विकास के साथ उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंची। यहां इमरजेंसी में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर अखिलेश्वर सिंह को विकास ने बताया कि पिता नरेश का टीबी का इलाज चल रहा है। उसके बताने के बाद भी डॉक्टर ने उसे इमरजेंसी वार्ड में अन्य मरीजों के साथ भर्ती कर दिया। जब विकास ने टीबी वार्ड में शिफ्ट करने को कहा तो उसे यह कहकर टाल दिया कि अभी रात में यहीं रहने दो सुबह शिफ्ट करा देंगे, लेकिन वेडनसडे दोपहर 2 बजे तक नरेश को टीबी वार्ड में शिफ्ट नहीं किया गया था।

अन्य मरीज भी हो सकते हैं संक्रमित

टीबी के मरीजों को अन्य मरीजों से अलग इसलिए रखा जाता है, जिससे अन्य मरीजों को यह संक्रमण न हो। वहीं मरीज के 24 घंटे मास्क लगा रहता है, लेकिन डॉक्टर व स्टाफ ने नरेश को मास्क तक लगाने की जरूरत नहीं समझी।

इन बातों का रखें ख्याल

1. टीबी के मरीज के मुंह पर 24 घंटे सर्जिकल मास्क लगा होना चाहिए।

2. मरीज से कम से कम 3 मीटर की दूरी से बात करनी चाहिए।

3. बच्चों को मरीज के सपंर्क से दूर रखना चाहिए।

वर्जन :::

टीबी के मरीजों के लिए दो अलग वार्ड हैं। मरीज भले ही रात में आए उसे फौरन टीबी वार्ड में शिफ्ट करना चाहिए था। मामला गंभीर है, उस दौरान जो भी डॉक्टर और स्टाफ ड्यूटी पर था उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।

डॉ। केएस गुप्ता, एडीएसआईसी।