क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ : राजधानी व आसपास के इलाकों में भले ही टेटनस जैसी खतरनाक बीमारी पर काबू पा लिया गया हो, लेकिन डिप्थीरिया के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे में सरकारी हॉस्पिटलों में आने वाले मरीजों को टेटनस की जगह टीडी का वैक्सीन लगाया जाएगा. टेटनस का स्टॉक खत्म होने के बाद उन्हें टीडी का वैक्सीन अवेलेवल करा दिया जाएगा. इससे टांसिल और सांस की परेशानी से जूझ रहे मरीजों को भी राहत मिलेगी.

चपेट में कम उम्र के बच्चे

डिप्थीरिया धीरे-धीरे मरीजों को प्रभावित करता है. वहीं इसकी चपेट में सबसे ज्यादा कम उम्र के बच्चे है. जिसमें 5-10 साल तक के बच्चे आ रहे है. इतना ही नहीं युवा और बुजर्ग भी इससे अछूते नहीं है. ऐसे में यह वैक्सीन सभी के लिए राहत देने वाला साबित होगा. चूंकि टेटनस के साथ ही डिप्थीरिया से भी मरीजों का बचाव करेगा.

कारगर होगा टीडी वैक्सीन

टीडी का टीका हर आयु वर्ग के लिए होगा. यह टीका टेटनस वैक्सीन की ही तरह से काम करेगा. गर्भवती महिलाओं से लेकर 10-16 साल के बच्चों जैसे कि पहले टीकाकरण किया जाता रहा है उसी ही तरह से यह वैक्सीन भी लगाया जाएगा. वहीं इसके स्टोरेज के लिए भी गोल्डन चेन सिस्टम जारी रहेगा.

टीडी को जानिए

-प्रेग्नेंट महिलाओं समेत सभी आयु वर्ग के लिए टीटी के बदले टीडी का दिया जाएगा टीका

-प्रेग्नेंसी के दौरान टीडी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिन्हें बूस्टर खुराक नहीं मिली

-प्रेग्नेंसी में टीटी के बदले टीडी मां और नवजात को देता है डिप्थीरिया से सुरक्षा

-133 देशों ने टेटनस के बदले टीडी टीके को अपनाया

-टेटनस और एडल्ट डिप्थीरिया (टीडी), टेटनस और डिप्थीरिया का मेल

-टेटनस से होने वाली मृत्यु दर में आई कमी, लेकिन डिप्थीरिया के बढ़ रहे मरीज

-डीटीपी के टीकाकरण के बाद नवजात में डिप्थीरिया के विरुद्ध घट जाती है प्रतिरोधक क्षमता