टिहरी के टीचर आशीष डंगवाल ने शुरु की नई मुहिम

जीर्ण-शीर्ण हो चुके घराटों की लिपाई-पुताई से की शुरुआत

देहरादून,

पलायन रोकने और अपनी संस्कृति को बचाने के लिए स्टूडेंट्स के साथ मिलकर टिहरी के टीचर आशीष डंगवाल ने एक नई मुहिम शुरू की है, गांवों में जीवन का प्रतीक रहे घराटों को बचाने और पुनर्जीवित करने के लिए आशीष ने स्कूली बच्चों के साथ मेरा घट्ट बुलाए रे अभियान की शुरुआत की है। आशीष डंगवाल राजकीय इंटर कॉलेज गरखेत, टिहरी गढ़वाल में लेक्चर हैं। बीते दिनों आशीष डंगवाल की स्कूल से फेयरवेल पर पूरा गांव रो पड़ा था। इसकी वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर जबदस्त वायरल हुई थी। इसके बाद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी आशीष को सम्मानित किया था।

14 बच्चों ने किया काम

आशीष ने बताया कि उनके स्कूल से 5 किमी दूर एक घराट जीर्ण-शीर्ण स्थिति में था। जिसके हालात सुधारने और ऐसे घराटों का कायाकल्प करने के लिए उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। अक्टूबर में आशीष ने अपने स्कूल के 14 बच्चों के साथ मिलकर घराट की सूरत बदलने का काम शुरू किया। 15 दिन में 14 बच्चों ने मिलकर काम पूरा किया। यह काम सिर्फ संडे को और छुट्टी के बाद 1 घंटे किया जाता था। पहले बाइक से मिट्टी गोबर लाकर घराट की दीवारों की लिपाई की गई। इसके बाद चूना किया। चूना करने के बाद उन्होंने सभी दीवारों पर बच्चों के साथ मिलकर उत्तराखंड का मैप, राज्य चिन्ह, गढ़वाल की संस्कृति को दर्शाया। जिसमें उन्होंने एजुकेशन सिस्टम पर भी फोकस किया ह.ै उन्होंने बताया कि घराटों को टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित कर सकते हैं। इसके लिए घराटों को नया रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। आगे आसपास के घराटों को सजाने और व्यवस्थित करने का काम कर रहे हैं।

पहाड़ की लाइफ लाइन थे घराट

आशीष बताते हैं कि घराट कभी पहाड़ों की लाइफ लाइन हुआ करते थे, आधुनिकता के दौर में वे इतिहास बन गए हैं। वे कहते हैं ये तकनीक बहुत ही पुरानी और आसानी से तैयार होने वाली थी, लेकिन अपनी सहूलियत के लिए लोगों ने इस तकनीक को भुला दिया है। इसी वजह से गांवों में अब घराट खंडहर बन गए हैं। वे कहते हैं कि घराट में गेहूं की पिसाई के अलावा छोटी मात्रा में बिजली भी उत्पादित की जा सकती है।

फेयरवेल से फेमस हुए थे आशीष

उत्तरकाशी की दुर्गम केलसु घाटी स्थित इंटर कॉलेज भंकोली में तैनात रहे 27 वर्षीय टीचर आशीष डंगवाल की स्कूल से विदाई पर पूरा गांव रो पड़ा था। इसकी वीडियो और तस्वारें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी। भंकोली में एलटी टीचर के रूप में तैनात आशीष का लेक्चरर में सिलेक्शन हुआ था। गांव वालों ने उन्हें शानदार विदाई दी थी। सिर्फ 3 वर्ष की तैनाती में ही आशीष ने इलाके के हर शख्स का दिल जीत लिया था। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने खुद आशीष को अपने आवास पर बुलाकर सम्मानित किया था।