-संस्कृत यूनिवर्सिटी में टीचर्स की कमी होगी दूर, अगले सेशन तक नियुक्त हो जाएंगे टीचर्स

-चार विभागों को मिले दो प्रोफेसर, एक एसोसिएट व 12 असिस्टेंट प्रोफेसर

<-संस्कृत यूनिवर्सिटी में टीचर्स की कमी होगी दूर, अगले सेशन तक नियुक्त हो जाएंगे टीचर्स

-चार विभागों को मिले दो प्रोफेसर, एक एसोसिएट व क्ख् असिस्टेंट प्रोफेसर

VARANASI

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लंबे समय से टीचर्स की कमी से जूझ रही संपूर्णानंद संस्कृत यूनिवर्सिटी में परमानेंट टीचर्स के मिलने का क्रम शुरू हो चुका है। हालांकि यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों में टीचर्स के पद अब भी रिक्त चल रहे हैं। उम्मीद है कि अगले सेशन तक उन पर भी परमानेंट नियुक्ति हो जाएगी। विश्वविद्यालय में संविदा के टीचर्स से क्लास का संचालन कराए जाने से प्रॉपर क्लासेस नहीं चल पा रही हैं। संविदा टीचर्स को लिमिटेड क्लास मिलने के कारण पढ़ाई डिस्टर्ब हो रही है। लेकिन अब यह संकट दूर होने वाला है। बता दें कि संस्कृत यूनिवर्सिटी में पिछले क्8 साल से टीचर्स की नियुक्ति ठप है।

लंबे प्रयास के बाद मिले क्भ् टीचर्स

यूनिवर्सिटी में शासन से स्वीकृत शिक्षकों के क्क्ख् पदों में से 79 पद रिक्त चल रहे थे। सन् ख्00ख् में तत्कालीन वीसी प्रो। राजेंद्र मिश्र के बाद विश्वविद्यालय में टीचर्स की नियुक्ति नहीं हो सकी। हालांकि तीन साल पहले तत्कालीन वीसी प्रो। यदुनाथ दुबे ने अध्यापकों की नियुक्तियों के लिए चयन समिति बुलाई थी, लेकिन आरक्षण के पेंच में यह नियुक्तियां फंस गई। यूनिवर्सिटी ने इस बार आरक्षण के मानकों का पालन करते हुए ख्ब् फरवरी से ख्7 फरवरी तक चयन समिति बुलाई थी। हालांकि अनुसूचित जाति संवर्ग के दो पदों पर एक भी कैंडीडेट नहीं मिला। आरक्षित दोनों पदों पर फिर से विज्ञापन जारी की जाएगी। तब जाकर इन पदों को भरा जाएगा।

दो लाख से भ्0 हजार हुए स्टूडेंट्स

प्राच्य विद्या का केंद्र होने के कारण आधुनिक विषयों की पढ़ाई इस यूनिवर्सिटी में नहीं होती है। वहीं वेद-पुराण, कर्मकांड, पढ़ने वाले छात्रों की संख्या दिनों दिन घटती जा रही है। सन् ख्00ख् में शास्त्री (स्नातक) व आचार्य (स्नातकोत्तर) में करीब दो लाख परीक्षार्थी थे। वर्तमान में शास्त्री-आचार्य की छात्र संख्या घटकर करीब भ्0,000 पहुंच गई है। इसके चलते यूनिवर्सिटी फीस भी नहीं बढ़ पा रही है। शास्त्री में 900 रुपये व आचार्य में क्क्00 रुपये एनुअल फीस लिया जा रहा है। इसमें एग्जाम फीस भी शामिल है। यूनिवर्सिटी में कर्मचारियों की संख्या भी लगातार कम हो रही है। विश्वविद्यालय में फ्0 परसेंट पद रिक्त है।

यूजीसी से मिला 'ए' ग्रेड

यूजीसी से विश्वविद्यालय का 'ए' ग्रेड मिला हुआ है। हालांकि इसकी वैधता इसी दिसंबर ख्0क्9 से समाप्त हो गयी है। नवीनीकरण के लिए विश्वविद्यालय नैक को सेल्फ स्टडी रिपोर्ट (एसएसआर) भेजने में जुटा हुआ है।

संस्कृत पाठशाला से यूनिवर्सिटी तक

संस्कृत यूनिवर्सिटी की स्थापना सन् क्79क् में बनारस संस्कृत पाठशाला के रूप में की गई थी। बाद में इसका नाम बदलकर राजकीय संस्कृत पाठशाला व क्वींस कालेज कर दिया गया। सन् क्9भ्म् में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा हासिल हुआ और इसका नाम वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय कर दिया गया। सन् क्97ब् में इसका नाम संशोधित कर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय कर दिया गया। वर्तमान में विश्वविद्यालय से संबद्ध पूरे देश में लगभग म्00 संबद्ध कालेज है।

प्वाइंट टू बी नोटेड

-0भ् फैकल्टी है यूनिवर्सिटी में

-ख्ख् डिपार्टमेंट में होती है पढ़ाई

-क्क्ख् है कुल अध्यापकों के पद

-79 अध्यापकों के पद चल रहे हैं रिक्त

-ज्योतिष व व्याकरण में कोई परमानेंट टीचर नहीं हैं

-म्00 कॉलेज एफिलिएटेड हैं पूरे देश के

-क्8 साल बाद शुरू हुई नियुक्ति की प्रक्रिया

-क्भ् टीचर्स मिले विभिन्न विभागों को

-क्79क् में स्थापित हुई है यूनिवर्सिटी

संस्कृत यूनिवर्सिटी वर्तमान समय में टीचर्स की कमी से जूझ रही है। कई विभाग में टीचर्स की संख्या न के बराबर है। वहां नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अगले सेशन से परमानेंट टीचर तैनात हो जाएंगे।

प्रो। राजाराम शुक्ल, वीसी