रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है ये नियम

अगर रिसर्च नहीं कराया तो उनकी बढ़ सकती है मुश्किलें

Meerut। सीसीएसयू से संबद्ध कॉलेजों में अब शिक्षकों को रिसर्च कराना ही पड़ेगा। अगर रिसर्च नहीं कराया तो उनकी मुश्किलें बढ़ सकती है। यूनिवर्सिटी की ओर से आवंटित स्टूडेंट्स को टीचर रिसर्च कराएंगे। कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों के निर्देशन में खाली सीटों की सूचना भी देनी होगी। यूनिवर्सिटी में अर्ह शिक्षकों को यह जिम्मेदारी सौंपी है कि न केवल आवंटित स्टूडेंट रिसर्च कराएंगे, बल्कि खाली सीटों को भी भरेगा। सीटों की कमी के चलते यूनिवर्सिटी पंजीकरण में शोध पात्रता परीक्षा नहीं करा पा रहा है।

कर रहे है टीचर्स इंकार

गौरतलब है कि अक्सर टीचर अपने निर्देशन में स्टूडेंट्स को रजिस्ट्रेशन कराने से इंकार कर देते हैं। जिसको लेकर यूनिवर्सिटी ने आदेश दिया है। दरअसल, यूनिवर्सिटी एमफिल, नेट, व जेआरएफ पास स्टूडेंट की रिसर्च डिग्री कमेटी ही रिसर्च करा रही है, लेकिन कॉलेजों के अर्ह शिक्षक टीचर्स को रिसर्च कराने से इंकार कर रहे हैं। ऐसे में परेशान स्टूडेंट कैम्पस के चक्कर काट रहे है। यूनिवर्सिटी के अनुसार ये टीचर रिसर्च कराने के लिए योग्य है, लेकिन विभिन्न कारण बताते हुए अपने अंडर में रजिस्ट्रेशन कराना नहीं चाहते हैं। यूनिवर्सिटी के अनुसार जो टीचर रिसर्च के लिए अर्ह है वे इंकार कर रहे है। कॉलेजों से उनकी सूची मांगी गई है। यूनिवर्सिटी ने इन टीचर्स को खुद लिखित रुप से निर्देश दिए है कि वो खाली सीटें भरे व रजिस्ट्रेशन करने के बाद उन स्टूडेंट की लिस्ट भी यूनिवर्सिटी को सौंपे।

बढ़ने लगी मुश्किलें

पीएचडी रेगुलेशन 2016 के बाद यूनिवर्सिटी में पीएचडी की सीटें लगभग 40 फीसदी कम हो गई है। इस रेगुलेशन के अनुसार उन कॉलेजों में रिसर्च सेंटर नहीं हो सकता है। जहां पर पीजी रेगुलेशन नही है। इस नियम में कॉलेजों के कई टीचर्स फंस गए हैं। वहीं जिन कॉलेजों में रिसर्च सेंटर है वे स्टूडेंट के रजिस्ट्रेशन नहीं कर रहे है। सीटें घटने से यूनिवर्सिटी रिसर्च इंट्रस्ट टेस्ट यानि आरआईटी भी नहीं करा पा रहा है।

जो भी नियमों को नहीं मानेंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी, अभी तो फिलहाल निर्देश दिए गए है, जब रिकॉर्ड आएगा तो सबकुछ पता चल जाएगा कि कौन कितना नियमों को मान रहा है।

प्रो। वाई विमला, प्रोवीसी, सीसीएसयू