- सीआईआरटी पुणे की स्पेशलिस्ट टीम ने किया टाटा कंपनी की नई बसेज का इंस्पेक्शन

- गियर लीवर, पैसेंजर सीट, ड्राइविंग साइड डोर, लगेज करियर सहित कई फॉल्ट मिले

- टीम बनाएगी डिटेल इंस्पेक्शन रिपोर्ट, मंडे को सौंपी जाएगी रोडवेज एडमिनिस्ट्रेशन को रिपोर्ट

देहरादून।

रोडवेज की नई बसेज में सीआईआरटी के इंजीनियर्स की टीम को कई टेक्निकल फॉल्ट मिले। सैटरडे को टीम बसेज के टेक्निकल इंस्पेक्शन के लिए रोडवेज के मंडलीय ऑफिस पहुंची। रोडवेज के सीनियर ऑफिसर्स की मौजूदगी में टाटा कंपनी की नई बसेज का डिटेल इंस्पेक्शन किया गया। बसेज के गियर लीवर के साथ ही कई और खामियां टेक्निकल टीम ने गिनाईं। टीम इंस्पेक्शन की डिटेल रिपोर्ट तैयार कर मंडे को रोडवेज एड्मिनिस्ट्रेशन को सौंपेगी।

रोडवेज के ये अफसर रहे मौजूद

रणवीर सिंह चौहान, एमडी

दीपक जैन, जीएम (टेक्निकल)

निधि यादव, डीजीएम

पूजा खेरा

पूजा जोशी

पहले दिन 5 घंटे इंस्पेक्शन

सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट (सीआईआरटी) पुणे की टीम सैटरडे को सुबह नौ बजे हरिद्वार रोड स्थित रोडवेज के मंडलीय ऑफिस पहुंची। टीम में शामिल टेक्निकल एक्सप‌र्ट्स एसएन ढोले व एसएन गत्ते ने बसेज का डिटेल इंस्पेक्शन किया। इसके अलावा टाटा कंपनी के भी दो रिप्रेजेंटेटिव भी मौजूद रहे। सबसे पहले उन 3 नई बसों का इंस्पेक्शन किया गया जिनके एक माह के भीतर ही गियर लीवर टूट गए थे। गियर लीवर के साइज और जगह को टेक्निकल टीम ने गलत बताया। इसके अलावा कई और टेक्निकल फॉल्ट भी बताए। बसेज के डिजायन, टेक्नोलॉजी को लेकर कई सवाल भी टीम ने किए।

मंडे को सबमिट करेंगे इंस्पेक्शन रिपोर्ट

सीआईआरटी की टीम आज भी बसेज का टेक्निकल इंस्पेक्शन करेगी। साथ ही इंस्पेक्शन की डिटेल रिपोर्ट भी तैयार करेगी। मंडे को यह रिपोर्ट रोडवेज एड्मिनिस्ट्रेशन को सौंपी जाएगी।

नई बसों में ये टेक्निकल फॉल्ट

- गियर लीवर का साइज बड़ा।

- गियर लीवर और पैसेंजर सीट को गलत बताया।

- ड्राइवर साइड के डोर के खुलने में दिक्कत।

- बस के फ्रंट ग्लास व ड्राइविंग सीट के बीच गैप ज्यादा।

- बसों में डिफॉगर ही नही हैं।

- बसेज की बैटरी का ऑटो कट गलत जगह।

- सीट के ऊपर लगेज करियर भी असुरक्षित।

- गलत साइड मिली बसेज की स्टेपनी।

इनका भी इंस्पेक्शन

- बसेज का साइज और रोड सेफ्टी।

- बसेज के पेपर्स की जांच।

- बसेज का डायमेंशन मेजरमेंट।

- डिक्की की भी की गई जांच।

वर्कर्स ने की कंप्लेन

सीआईआरटी टीम द्वारा इंस्पेक्शन के दौरान रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद़ के महामंत्री दिनेश पंत ने जांच टीम से बसों के गियर लीवर को लेकर कंप्लेन की। उन्होंने कहा कि बसों के गियर लिवर छोटे होने चाहिए जबकि इन बसेज में ओल्ड मॉडल बड़े गियर लीवर दिए गए हैं जो ड्राइवर के लिए भी असुविधाजनक है और घटिया किस्म का है।

फ्यूचर के लिए मिला सबक

बसेज में टेक्निकल फॉल्ट से रोडवेज की काफी किरकिरी हुई है। हायर ऑफिसर्स द्वारा टेक्निकल टेस्ट के बाद बसेज की खरीद की बात कही जाती रही। टीम बसेज के इंस्पेक्शन के लिए गोवा भी गई थी, इसके बावजूद ओल्ड मॉडल बसें दून पहुंच गईं। हालांकि, इस किरकिरी के कारण रोडवेज को फ्यूचर के लिए सबक भी मिला है। अब कम से कम बसों की खरीदारी में गंभीरता बरती जाएगी।

हिमाचल की बसेज की भी चर्चा

3 वर्ष पहले टाटा कंपनी से यही 150 बसेज हिमाचल रोडवेज ने भी खरीदी थीं। उत्तराखंड रोडवेज की टीम उनका इंस्पेक्शन करने हिमाचल प्रदेश भी गई थी, तो पता चला था कि हिमाचल नाहन डिपो की ही 25 बसेज के गियर लीवर टूट गए थे। हिमाचल रोडवेज ने वेल्डिंग कर बसेज के गियर लीवर जोड़े थे। इनका मामला भी इंस्पेक्शन के दौरान उठा और चर्चा होती रही।

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सीआईआरटी की टीम द्वारा कई बसों का टेक्निकल इंस्पेक्शन किया गया। कुछ टेक्निकल फॉल्ट भी मिले हैं। गियर लीवर में फॉल्ट पाया गया, इसके अलावा छोटी-मोटी कमियां भी मिलीं। टीम इंस्पेक्शन की डिटेल रिपोर्ट मंडे को सौंपेगी।

- रणवीर सिंह चौहान, एमडी, रोडवेज।