असेसमेंट का आधार

दरअसल, सीएम अखिलेश यादव ने कहा है कि तहसील दिवस को सिर्फ शिकायतें सुनने तक सीमित न रखें। इसे असल में पब्लिक की मदद का जरिया बनाया जाए। डीएम-एसडीएम के कामकाज के मूल्यांकन में तहसील दिवस की अहम भूमिका रहेगी। इसी क्रम में सीएम के एडवाइजर आमोद कुमार ने मंडे को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए डीएम एमपी अग्रवाल को आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। सीएम की गाइडलाइंस सुनकर एडमिनिस्ट्रेशन की नींद उड़ गई है। अब तक तहसील दिवस को हल्के में निपटा रहे अफसर भी अलर्ट हो गए हैं। ट्यूजडे को डीएम ने खुद घाटमपुर तहसील में और फूलबाग में एडीएम फाइनेंस ने तहसील दिवस अटेंड किया।

डाटा भी मेंटेन नहीं  

तहसील दिवस का डाटा ऑनलाइन मेंटेन किए जाने के आदेशों में कुछ कर्मचारियों की गर्दन फंसती नजर आ रही है। सोर्सेज की मानें तो शासन ने जिस हिसाब से शिकायतों का डाटा ऑनलाइन अपलोड करने के निर्देश  दिए हैं, उस तरह से डाटा मेंटेन ही नहीं किया गया है। इतने कम समय में सही-सही डाटा अपलोडिंग का काम आसान नहीं है। मुश्किलें कई हैं, पब्लिक रिस्पॉन्स को लेकर असमंजस की स्थिति है। इसी साल  जनवरी-फरवरी में तहसील दिवस में कुछ गलत शिकायतें दर्ज कराए जाने का मामला सामने आया था। जांच में मालूम हुआ था कि शिकायत दर्ज कराने वालों ने अपने ही गांव के व्यक्ति पर फर्जी शिकायत दर्ज कराई थी।

ये हैं गाइडलाइंस-

तहसील दिवस में शिकायत कब, कहां, किसने, कैसे सुनी, यह सुनिश्चित किया जाए। किसी भी शिकायत का कागजी निस्तारण न हो। शिकायतकर्ता से सम्पर्क सुनिश्चित कर वास्तविक निस्तारण करें। शिकायती पत्र पर शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से लिखें। डीएम-एसडीएम शिकायतकर्ताओं से खुद मोबाइल पर फीडबैक लें।