सदन की बैठक शुरू होते ही तेलंगाना के मुद्दे पर कुछ सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया. बार-बार शांत होने की अपील के बाद भी उनपर कोई असर नहीं हुआ.

हंगामा थमता न देख संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही पहली बार 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. इस वजह से संसद में प्रश्नकाल नहीं हो पाया.

दोपहर 12 बजे जब  लोकसभा की कार्यवाही दुबारा शुरू हुई तो सदस्य एक बार फिर हंगामा करने लगे.  तेलंगाना समर्थक सदस्य 'जय तेलंगाना' का नारा लगा रहे थे.

अपील बेअसर

"इस लोकसभा का यह अंतिम सत्र है, इसलिए सदन की कार्यवाही को चलने दें"

-मीरा कुमार, अध्यक्ष. लोकसभा

इस पर अध्यक्ष मीरा कुमार ने सदस्यों से कहा कि इस लोकसभा का यह अंतिम सत्र है, इसलिए  कार्यवाही को चलने दें. लेकिन सदस्यों ने उनकी अपील पर ध्यान नहीं दिया और हंगामा करते रहे.

हंगामा न थमता देख  अध्यक्ष ने विधायी कामों को निपटाना शुरू किया और कागजात सदन के पटल पर रखे गए. ऐसे मे भारी शोर-शराबे के बीच सदन की कार्यवाही जारी रही. लेकिन हंगामा थमता न देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी.

उधर, राज्यसभा में भी यह हाल रहा. सदन में तेलंगाना समर्थक और विरोधी सदस्य हंगामा करने लगे. इसे देख सभापति ने पहले सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. दोपहर 12 बजे जब कार्यवाही फिर शुरू हुई तो सदस्य फिर हंगामा करने लगे. इस पर सभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी.

संसद का यह सत्र शीतकालीन सत्र का विस्तार है. इसके पहले दिन बुधवार को भी सांप्रदायिक हिंसा विरोधी विधेयक, तेलंगाना और अगस्ता वेस्टलैंड मामलों को लेकर जबरदस्त हंगामा हुआ था. इसके बाद दोनों सदनों की बैठक दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई थी.

लगातार विरोध

राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने सांप्रदायिक हिंसा विरोधी विधेयक को राज्य के अधिकारों का उल्लंघन बताया था.

एआईडीएमके नेता वी मैत्रेयन ने उनका समर्थन करते हुए कहा था कि यह विधेयक राज्यों के अधिकारों को कुचलने की एक कोशिश है.

तृणमूल कांग्रेस और माकपा नेताओं ने कहा कि वह देश के संघीय ढांचे का अतिक्रमण नहीं होने देंगे.

बुधवार को राज्यसभा में विपक्ष के आरोपों पर क़ानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा था, "हम इस विधेयक को लेकर सतर्क रहे हैं. इसलिए इस विधेयक में ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है जो शक्ति केंद्र सरकार को दे देता हो. विधेयक की धारा 30 में कहा गया है कि यह पूरी तरह राज्य सरकार की अनुमति पर निर्भर है. यह दिल्ली पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट की तरह ही है."

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