- लगातार बदल रहा मौसम का मिजाज

- सुबह से शाम तक तेज धूप खिलने के बाद भी हो रही है परेशानी

- मलेरिया और डेंगू ने भी पकड़ा हुआ है जोर, प्रिकॉशन ही है बचाव

GORAKHPUR: मौसम का मिजाज रोजाना बदल रहा है। कभी तेज धूप परेशान कर रही है, तो कभी सर्द रातें मुश्किल बढ़ा रही हैं। इन सबके बीच लोगों को टेंप्रेचर डिफरेंस भी बीमारी की चपेट में पहुंचा रहा है। हालत यह है कि म्वाइश्चर, मौसम की उठा-पटक और वॉटर लॉगिंग ने मलेरिया और डेंगू के मच्छरों को पनपने का मौका दे दिया है। इससे मच्छर अपने अंदर वायरस बटोरकर रोजाना लोगों को बीमारी का शिकार बना रहे हैं। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल हो, एम्स या फिर मेडिकल कॉलेज सभी जगह पेशेंट्स की भीड़ लगी हुई है, तो वहीं प्राइवेट डॉक्टर्स की ओपीडी भी बुखार और वायरल के शिकार पेशेंट्स से भरी हुई है। अगर अब भी हम नहीं संभले, तो हम भी इसका शिकार हो सकते हैं और इसके लिए हम खुद ही जिम्मेदार भी होंगे।

टेंप्रेचर से नहीं है कोई डर

मलेरिया के वायरस ऐसे हैं, जो साल भर एक्टिव रहते हैं और कभी भी अटैक कर सकते हैं। यही वजह है कि इसके लिए अवेयरनेस प्रोग्राम भी लगातार चलते हैं। वॉटर लॉगिंग, बरसात, म्वायस्ट वेदर इस पैरासिटिक डिजीज के लिए काफी फेवरेबल हैं। इसके बैक्टेरिया में एक बात जो अलग है, वह यह कि यह 16 डिग्री सेल्सियस टेंप्रेचर में भी अपना असर दिखा सकते हैं, तो वहीं 40 डिग्री टेंप्रेचर में भी उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। बाकी कीटाणु के लिए 16 से 32 डिग्री टेंप्रेचर फेवरेबल होता है। यही वजह है कि राजस्थान और एमपी जैसे गर्म इलाकों में भी इसके पेशेंट पाए जाते हैं। गवर्नमेंट की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में 67000 मरीजों की सिर्फ मलेरिया से मौत हुई थी, वहीं 2018 में भी इनकी तादाद बढ़ी है।

यह है वजह

पानी का कलेक्शन

डीफोरेस्टाइजेशन

एटमॉस्फियर में ह्यूमिडिटी

अवेयरनेस में कमी

गंदगी का फैला होना

लाइफ साइकिल मनुष्य और मच्छर में पूरी होती है

कैसे थमेगा मलेरिया

- पूरे बांह का कपड़ा पहनें और मच्छरदानी लगाकर सोएं।

- ठंड लगकर बुखार चढ़े तो दो गोली क्लोरोक्वीन की खा लें, इसके बाद फौरन डॉक्टर को दिखाएं।

- घर के आसपास पानी न जमा होने दें, लारवा वहीं डेवलप होते हैं।

- इनके मच्छर रात में घरों में घुस जाते हैं। शाम होते ही घर के खिड़की-दरवाजे बंद कर दें।

- मॉस्कीटो रिपलेंट, वेपोराइजर मशीन, नॉन इलेक्ट्रिक या इलेक्ट्रिक का इस्तेमाल करें।

- इनडोर रेसिडुअल स्प्रे करें यानि कि गेट की एंट्री पर स्प्रे कर दीजिए, जिससे मच्छर एंट्री ही न करें।

कूलर से मिल रहे हैं डेंगू के लार्वा

स्वास्थ्य विभाग की जांच में यह बात सामने आई कि घरों मे रखे फ्रिज की ट्रे, सीमेंट की टंकी, प्लास्टिक के कंटेनर, गमले और कूलर में भी डेंगू मच्छरों के लार्वा हैं। डेंगू का मच्छर गंदगी में नहीं बल्कि साफ और स्थिर पानी में पनपता है, ऐसे में घरों के अंदर ऐसे स्थान की सफाई कर दें जहां साफ और स्थिर पानी जमा है ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके। जिले में डेंगू के 59 मरीजों की पुष्टी के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 5302 घरों में डेंगू मच्छर के लार्वा की जांच की। इसमें सबसे अधिक लार्वा इन घरों में रखे कूलर में जमा साफ पानी में मिले हैं।

डेंगू से ऐसे करें बचाव

- डेंगू मच्छर दिन में काटता है।

- घर के सदस्यों को दिन में पूरी बांह की कमीज, फुल पैंट और पैरों में मोजा पहनना चाहिए।

- घरों में मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करना चाहिए।

- बुखार होने पर दवा का इस्तेमाल करने से पहले सावधानी बरतें।

- सिर्फ पैरासिटामॉल की गोली दें और बॉडी को पानी से भीगी पट्टियों से पोछें।

- बुखार तेज होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।

डेंगू की बीमारी में सिर्फ क्रिटिकल केसेज में ही प्लेटलेट चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। बुखार होने पर ट्रेंड डॉक्टर के पास जाएं तो समय रहते डेंगू का मरीज स्वस्थ हो जाएगा और प्लेटलेट की जरूरत नहीं पड़ेगी।

- डॉ। श्रीकांत तिवारी, सीएमओ

जहां कहीं से भी डेंगू मरीज की सूचना मिल रही है, वहां स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंच कर सर्वे कर रही है और निरोधात्मक कार्यवाही की जा रही है। जुलाई से सितंबर महीने तक डेंगू के सिर्फ 11 मामले पुष्ट हुए थे। अक्टूबर में 39 डेंगू के मरीज सामने आए, जबकि नवंबर में अभी तक 9 मामलों में डेंगू कंफर्म हुआ है।

डॉ। एके पांडेय, जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ)