लॉकडाउन में बंद रहे मंदिर, चैत्र पूर्णिमा व हनुमान जयंती पर घरों में ही हुई कथा-पूजा

PATNA :

हिन्दू पंचांग के अनुसार हनुमान जयंती बुधवार को चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को चित्रा नक्षत्र में मनाई गई। पूरे विश्व के साथ देश में फैले कोरोना महामारी के कारण चल रहे लॉकडाउन से मंदिरों के बंद रहने और लोगों के बाहर निकलने की मनाही के चलते भक्तों ने समित संसाधन में जयंती मनाया। श्रद्धालुओं ने अपने घरों में ही हनुमान जी की जयंती और पूर्णिमा की कथा करवाई।

घरों में हुई चालीसा पाठ व कथा-पूजा

चैत्र पूर्णिमा एवं हनुमान जयंती पर श्रद्धालुओं ने अपने घरो में ही हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड आदि का पाठ किया। वहीं भगवान विष्णु के उपासकों ने सत्यनारायण की कथा-पूजा कर देश में फैले कोरोना महामारी से मुक्ति के लिए प्रार्थना किया। पूजा की शुरुआत प्रत्यक्षदेव भगवान भास्कर को जलार्पण से किया। भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि मान्यता है कि सूर्य के तेज में महामारी को नष्ट करने की क्षमता विद्यमान है। हिन्दू धर्मावलंबियों ने हनुमान को तेल-सिंदूर के लेप का अर्पण, ध्वज दान, रोट प्रसाद का भोग-वितरण भी किए।

मतंग ऋषि के आश्रम में जन्मे थे हनुमान

पंडित झा ने धार्मिक मान्यताओं के आधार पर बताया कि कर्नाटक के हंपी में राम मंदिर के पास मतंग पर्वत है। वहां मतंग ऋषि के आश्रम में ही केसरी नंदन हनुमान का जन्म हुआ था। हंपी का प्राचीन नाम पंपा था। कहा जाता है कि पंपा में ही प्रभु राम की की पहली मुलाकात हनुमान जी से हुई थी। हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां रुद्र अवतार माना जाता है। हनुमान महाराज किष्किंधा नरेश सुग्रीव के महामंत्री भी थे तथा प्रभु राम-लक्ष्मण से ब्राह्मण के रूप में भेंट करनेवाले सुग्रीव के प्रथम प्रतिनिधि थे।

इस स्तुति से हुई हनुमान की प्रार्थना

अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहम्

दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्य

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्

रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥ (श्रीरामचरितमानस, सुन्दरकाण्ड)