मुंबई (एएनआई)। शिवसेना के मुखपत्र सामना ने शनिवार को बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनोट की देश की आजादी पर उनकी विवादास्पद टिप्पणी के लिए आलोचना की और कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान करने वाले को पद्मश्री दिया गया है। सामना के संपादकीय में कहा गया है कि 1947 में भारत की स्वतंत्रता को 'भीख' बताना देशद्रोह का मामला है और मांग की कि केंद्र को उनसे पद्म श्री पुरस्कार वापस लेना चाहिए।

स्वतंत्रता सेनानी का अपमान है
संपादकीय में कहा गया, "किसी ने भी इस तरह से स्वतंत्रता सेनानी का अपमान नहीं किया है। कंगना ने कहा है कि भारत को 1947 में स्वतंत्रता नहीं मिली थी, लेकिन यह एक भीख थी और देश को वास्तविक अर्थों में 2014 में स्वतंत्रता मिली (जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पदभार ग्रहण किया) भारत को 150 साल की गुलामी से आजादी पाने के लिए आजादी की लड़ाई लड़नी पड़ी थी। हजारों लोगों को अपना सब कुछ कुर्बान करना पड़ा था। खून, पसीने और आंसुओं के बलिदान पर मिली आजादी को एक भीख कहते हैं।”

पद्म श्री पुरस्कार वापस लिया जाए
इसमें कहा गया है, "राष्ट्रपति ने ऐसे व्यक्ति को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया। यदि केंद्र को स्वतंत्रता सेनानियों की स्वतंत्रता और बलिदान के लिए कोई सम्मान है, तो उसे उनसे पद्म श्री पुरस्कार वापस लेना चाहिए।" बता दें यह विवाद तब शुरू हुआ जब कंगना ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा कि भारत को 2014 में आजादी मिली जब मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई और 1947 में देश की आजादी भीख में मिली थी। कंगना को 8 नवंबर को राजधानी के राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला।

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