- सदाकत, फईम और सिराजुद्दीन की गिरफ्तारी के लिए एटीएस और क्राइम ब्रांच ने परतापुर चौधरी गांव में दी दबिश

- पिछले कई दिनों से घर नहीं आए हैं तीनों, मामले में लखीमपुर में गिरफ्तार चार युवकों ने खोले थे तीनों के नाम

बरेली। देश में आतंकवाद फैलने के लिए नेपाल के जरिए बड़े पैमाने पर टेरर फंडिंग में एटीएस को अब परतापुर के तीन और युवकों फहीम, सदाकत अली और सिराजुद्दीन की तलाश है। इनकी तलाश में एटीएस, क्राइम ब्रांच के साथ स्थानीय पुलिस लगातार इनके गांव इज्जतनगर के परतापुर चौधरी सहित अलग-अलग जगहों पर दबिश दे रही है, लेकिन तीनों अभी तक हाथ नहीं आए हैं। वे पिछले कई दिनों से घर नहीं आए हैं। सदाकत पर आरोप है कि वह मदद के नाम पर बेरोजगारों के खाते खुलवाकर उनके डेबिट कार्ड अपने पास रख लेता था। सिराजुद्दीन दिल्ली में हुई एक डकैती की वारदात में भी मोस्ट वांटेड है। मामले में लखीमपुर से चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से दो समीर सलमानी और उम्मेद अली भी परतापुर चौधरी गांव के ही हैं। समीर और उम्मेद ने पूछताछ में टेरर फंडिंग के नेटवर्क में सदाकत, फईम और सिराजुद्दीन के भी शामिल होने का खुलासा किया था।

असम के लिए निकला था घर से

सदाकत को गिरफ्तार करने के लिए सैटरडे को क्राइम ब्रांच ने उसके घर में दबिश दी। बताते हैं कि घर में महिलाओं और बच्चों के होने के चलते कोई खास जानकारी हासिल नहीं की जा सकी। जैसे ही घर के दरवाजे पर कोई आता तो छत से बच्चों को देखने के लिए बाहर भेज दिया जाता, लेकिन बात करने को कोई तैयार नहीं था। चर्चा है कि दस दिन पहले भट्टे के लिए कोयला खरीदने की बात कहकर असम गया था। तभी से उसका मोबाइल नंबर स्विच ऑफ है।

घर छोड़कर भागे अकाउंट होल्डर

इस संबंध में ग्रामीणों का कहना था कि सदाकत मदद के नाम पर बेरोजगार के खाते खुलवाता था। उनके डेबिट कार्ड अपने पास रखकर कह देता था जब भी किसी काम के लिए रुपयों की जरूरत हो तो आ जाना। इससे ज्यादा किसी और बात से मतलब मत रखना। गांव वालों की मानें तो इन लोगों के डेबिट कार्ड वह अपने घर और कार में ही रखता था। जिन लोगों ने उसके कहने पर खाते खुलवाए थे, अब वे डरे हुए हैं। इनमें से कुछ लोग तो घर छोड़कर रिश्तेदारी में चले गए हैं। लोगों के मुताबिक, 15 साल पहले सदाकत चप्पल कारीगर था। पिछले कुछ सालों से उसका रहन-सहन बदलता गया। फतेहगंज पश्चिमी के पूर्व प्रधान के साथ पार्टनरशिप में मीरगंज कस्बे के सोरिया गांव मे ईट भट्टा भी खरीद लिया। कोठी भी बनवा ली। कार से घूमता था।

भूखों मर रहे हम, वो 15 दिन से गायब

टेरर फंडिंग मामले का एक और संदिग्ध फईम 15 दिन पहले घर से निकला था। अब तक नहीं लौटा। शनिवार को जब पुलिस उसके बारे में जानकारी जुटाने घर पहुंची तो उसकी पत्‍‌नी रुखसार रोने लगी। बोली, वे ट्रेवल एजेंसी में ड्राइवर हैं। किसी की कार लेकर जाने की बात कहकर निकले थे। इस दिन से तो फोन भी बंद जा रहा है। घर में अब खाने का राशन तक नहीं बचा है। दोनों बच्चे भूखे हैं। सदाकत और फईम का घर तो आसपास ही है। सदाकत की आलीशान कोठी है, जबकि फईम के घर के बाहर छप्पर पड़ा है। घर में सुख सुविधा का सामान तो है पर टूटी छत और फर्श में ही परिजन गुजर बसर कर रहे हैं।

दिल्ली में भी वांटेड है सिराजुद्दीन

टेरर फिंडिंग में सिराजुद्दीन का भी नाम सामने आया है। मोहल्ले के लोगों ने बताया कि छह साल पहले उसने मिनी बाईपास पर चप्पलों की दुकान खोली थी। वह दुकान पर आए-दिन कस्टमर से मारपीट करता था। जिस वजह से उसकी दुकान भी चौपट हो गई। इसके बाद वह दिल्ली भाग गया था। दो साल पहले दिल्ली में उसने डकैती की वारदात को अंजाम दिया था। जिसके बाद दिल्ली पुलिस उसे तलाशती हुए उसके घर पर पहुंच गई थी, लेकिन वह नहीं मिला। इस घटना के बाद उसके पिता हाजी इजराइल ने सिराजुद्दीन को परिवार से बेदखल कर दिया था।

जाली करेंसी का सप्लायर था समीर

परतापुर के लोगों ने बताया कि स्मैक के नशे का आदी समीर सलमानी सउदी अरब में काम करने वाले अपने एक रिश्तेदार की मदद से जाली करेंसी सप्लाई करने के धंधे में शामिल था। इसी दौरान उसने इलाके में फुटवियर का शोरूम खोल लिया था। कुछ संदिग्ध लोग उसकी दुकान और घर में अक्सर आते जाते थे। जरी का कारखाना चलाने वाला उम्मेद अली भी जब समीर के संपर्क में आया तो उसके साथ काम करने लगा। दोनों को एटीएस ने फ्राइडे को लखीमपुर से अरेस्ट किया था।

वर्जन

पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम दबिश देकर आरोपियों को गिरफ्तारी के लिए प्रयास कर रही है। आंतकियों से उनके नेटवर्क की जांच की जा रही है।

शैलेश पाण्डेय, एसएसपी