टेलीविज़न पर प्रसारित एक बयान में सैन्य प्रमुख ने कहा कि सेना क़ानून व्यवस्था को पटरी पर लाएगी और राजनीतिक सुधारों के काम को पूरा करेगी.

मुख्य राजनीतिक दलों के बीच दो दिन तक चली बातचीत के बेनतीज़ा रहने के बाद सैन्य प्रमुख ने यह घोषणा की. पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है.

सैन्य बलों ने बातचीत की जगह को घेर लिया और प्रमुख विपक्षी नेता सुथेप थागसुबन समेत अन्य नेताओं को वहां से दूसरी जगह ले जाया गया है.

थाईलैंड महीनों से राजनीतिक उथल-पुथल का शिकार रहा है. मंगलवार को सेना ने वहाँ मार्शल लॉ लागू कर दिया था.

बैंकॉक में मौजूद बीबीसी संवाददाता जोनाह फ़िशर ने बताया कि अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए सेना की गतिविधि तेज़ हो गई है.

सेना के जवान बैंकॉक के बाहरी इलाके में सरकार समर्थित 'रेड शर्ट' प्रदर्शनकारियों और शहर के मध्य में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के शिविरों की ओर कूच कर रहे हैं.

सेना ने कर्फ्यू की घोषणा कर दी है ताकि तख़्तापलट के ख़िलाफ़ किसी तात्कालिक प्रतिक्रिया को रोका जा सके.

अधिकांश लोगों को लग रहा है कि 'रेड शर्ट' प्रदर्शनकारी अब रैली करेंगे और संभावित टकराव से लोग चिंतित हैं.

एक सैन्य अधिकारी ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी को बताया कि रैली स्थल से प्रदर्शनकारियों को दूर ले जाने के लिए सुरक्षा बलों और वाहनों को भेजा जाएगा.

सत्ता संघर्ष

थाईलैंड में तख्तापलट,सत्ता पर सेना का क़ब्ज़ा

पिछले साल दिसंबर में थाईलैंड की राजधानी में अशांति की शुरुआत हुई, क्योंकि तत्कालीन प्रधानमंत्री यिंगलक चिनावाट ने संसद के निचले सदन को भंग कर दिया था.

प्रदर्शनकारियों ने बैंकॉक के बहुत से इलाकों में महीनों तक नाकेबंदी लगाए रखी.

इस महीने की शुरुआत में एक अदालत ने सत्ता के कथित दुरुपयोग के आरोप में यिंगलक को हटाए जाने का आदेश दिया था.

यिंगलक के भाई टकसिन चिनावाट को 2006 में सेना द्वारा प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बाद से ही थाईलैंड में सत्ता संघर्ष चल रहा है.

टकसिन और यिंगलक का ग्रामीण इलाकों, खासकर गरीब मतदाताओं में मजबूत आधार है, जबकि शहरी और मध्यवर्ग इनके प्रति घृणा का भाव रखता है.

वह इन दोनों पर भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाता है.

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