हास्य कवि सम्मेलन के साथ उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के दस दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव चलो मन गंगा यमुना तीर का समापन

ALLAHABAD: उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के दस दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव चलो मन गंगा यमुना तीर का सोमवार को समापन हो गया। समापन अवसर का मुख्य आकर्षण हास्य कवि सम्मेलन रहा। प्रख्यात हास्य कवि अशोक बेशरम ने मां गंगा की पीड़ा को अपनी पंक्तियों 'गंगा में अगर गंदगी इंसान करेगा, तो फैसला इस जुर्म का भगवान करेगा' से सभी को सोचने पर विवश कर दिया। अखिलेश बेशरम ने पति-पत्‍‌नी संवाद पर कटाक्ष करते हुए पंक्तियां 'राजा दशरथ का चरित्र भा रहा है तुम्हे, मैं भी महारानी द्रौपदी हो जाऊंगी' सुनाकर श्रोताओं को खूब हंसाया।

दिल्ली से आए गजेन्द्र सोलंकी ने 'की सबसे पहले हर एक दिल में हिन्दुस्तान रहे' की प्रस्तुति की। राजस्थान से आएं बृजेन्द्र चकोर ने बदलते परिवेश में नारियों के छोटे वस्त्र पर व्यंग्य करते पंक्तियां 'जब चीरहीन होगा तब बोलिए दुशासन क्या झुनझुना बजाएगा' सुनाई तो हर किसी ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया। केन्द्र के निदेशक इंद्रजीत ग्रोवर ने कवियों को पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया।

लोकनृत्य ने बांधा समां

समापन अवसर के दूसरे सत्र में लोकगीत व लोकनृत्य की प्रस्तुति की गई। आकाशवाणी की गायिका रंजना त्रिपाठी ने 'प्रयाग नगरी बसे संगम तीरे व गंगा जी के मटिया, हो गईया के गोबरा' की प्रस्तुति की। असम के बिहू, पंजाब का भांगड़ा व गिद्दा व कश्मीर के रुफ नृत्य की कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुति कर समां बांध दिया।