The Big Bull Review: स्कैम 1992 पहले से ही इस विषय पर माइलस्टोन साबित हो चुकी थी। एक बार फिर से इस विषय पर द बिग बुल देखने में दर्शकों की दिलचस्पी जाहिर है कम ही हो चुकी होगी। हालांकि यह अभिषेक बच्चन के लिए कमाल की बात है कि उन्होंने इसमें शानदार अभिनय किया है। फिल्म किसी भी लिहाज से स्कैम के सामने खड़ी नहीं होती है। पढ़ें पूरा रिव्यू...

फिल्म : द बिग बुल
कलाकार: अभिषेक बच्चन, निकिता दत्ता, इलियाना डिक्रूज, सोहम शाह, राम कपूर, सौरभ शुक्ला
निर्देशक : कूकी गुलाटी
संवाद : रितेश शाह
ओ टीटी : डिजनी प्लस हॉटस्टार
रेटिंग : 2.5 STAR

क्या है कहानी
फिल्म की कहानी हर्षद मेहता के ही काल्पनिक नाम हेमंत शाह (अभिषेक बच्चन) की है, वह एक आम आदमी है। चॉल में रहता है। लेकिन अपने उसने बड़े देखे हैं। उसे कुछ बड़ा कर दिखाना है। ऐसे में उसके मन में ख्याल आता है कि वह भी स्टॉक मार्केट में एंट्री लेगा और वह धीरे धीरे अपने दिमाग से खेलता है और स्टॉक मार्केट का बहुत बड़ा खिलाड़ी बन जाता है। उसे स्टॉक मार्केट का अमिताभ बच्चन कहा जाने लगता है। हेमंत अपने भाई वीरेन ( सोहम शाह) के साथ मिल कर ऊंचाई पर चढ़ता जाता है, क्योंकि वीरेन को स्टॉक मार्केट की समझ अच्छी है। ऐसे ही ऊंचाइयों पर चढ़ते हुए हेमंत एक बड़े घोटाले को अंजाम देता है। वह सोचता है कि बैंक के साथ मिल कर किया गया यह स्कैम सामने नहीं आएगा। लेकिन कहानी में बड़ा ट्विस्ट आ जाता है, जब एक पत्रकार उनके पीछे पड़ जाती है। मीरा एक पत्रकार है। उसे पता है कि पांच हजार करोड़ के घोटाले के पीछे किसका हाथ है। वह हेमंत के पीछे पड़ जाती है। 5000 करोड़ के स्कैम को बाकी सारे स्कैम का जनक माना जाता है। ऐसे में किस तरह राजनेता भी अपनी चाल चलते हैं और किस तरह हर्षद बलि का बकरा बनता है। क्या वह इस पूरे मायाजाल से निकल पाता है। स्कैम से अलग इसमें हर्षद उर्फ हेमंत की जिंदगी में उसकी पत्नी और प्यार की भी कहानी है। फिल्म में कुछ दमदार संवाद तो हैं। उनमें से कुछ याद करने लायक भी हैं, लेकिन पटकथा काफी कमजोर है।

क्या है अच्छा
निर्देशन अच्छा है। संगीत भी अच्छा है। अभिषेक का काम भी अच्छा है। संवाद अच्छे हैं। रिस्क जितना बड़ा लो, अच्छा है जैसे कई दिलचस्प संवाद हैं। फिल्म का क्लाइमेक्स अलग है

क्या है बुरा
निर्देशक को और मेकर्स को स्कैम से कुछ अलग तरह से कहानी को दर्शाने की कोशिश करनी ही चाहिए थी। यह फिल्म काल्पनिक होने के साथ ही मसाला अप्रोच के साथ बनी है। कई घटनाएं वास्तविक नहीं बनावटी लगती हैं। ऐसी कई घटनाएं हैं, जो स्पष्ट ही नहीं हैं, जैसे हेमंत के बचपन में ऐसा क्या हुआ था। फिर हेमंत अचानक से इतना हंसता क्यों है। इस फिल्म में हर्षद की खुदा बनाने की कोशिश नजर आती है, जो अमूमन बॉलीवुड फिल्मों में होता ही है कि हीरो ही खुदा है। स्कैम सीरीज में निर्देशक ने यही चूक नहीं की थी। इसलिए रियलिटी के नजदीक लगी थी।

अदाकारी
इस फिल्म की सबसे बड़ी खामी यह भी है कि इस फिल्म में केवल मुख्य कलाकार पर फोकस किया गया है। बाकी शेष कलाकारों को उतनी तवज्जो नहीं दी गई है। स्कैम सीरीज में काफी डिटेलिंग थी। अभिषेक की मेहनत झलकती हैं लेकिन कुछ मुख्य दृश्यों में वह काफी लड़खड़ा गए हैं। इमोशेनल दृश्यों में खासतौर से वह गुरु के किरदार से बाहर नहीं निकल पाए हैं। सोहम शाह ने भी औसत काम किया है। निकिता और इलियाना के करने के लिए फिल्म में कुछ था ही नहीं। राम कपूर, सौरभ और समीर सोनी ने भी औसत ही काम किया है।

वर्डिक्ट : अभिषेक के अच्छे अभिनय के लिए देखी जा सकती है फिल्म

Review by: अनु वर्मा

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