कुंभ मेला के दौरान इलाहाबाद म्यूजियम द्वारा पहली बार लगाई जाएगी इतिहास पर केन्द्रित सबसे बड़ी प्रदर्शनी

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PRAYAGRAJ: संगम की रेती पर लगने जा रहे कुंभ मेला की तैयारियां जोरों पर हैं। विभागों की योजनाओं को मूर्त रूप दिया जा रहा है। केन्द्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से पहली बार ऐसी प्रदर्शनी लगाने की योजना बनाई गई है। जिसके जरिए देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को पता चल सकेगा कि सौ वर्ष पहले संगम क्षेत्र में कुंभ मेला का आयोजन अंग्रेजी शासक कैसे करते थे। इसकी जिम्मेदारी मंत्रालय ने इलाहाबाद म्यूजियम को सौंपी है जो दिल्ली के नेशनल ऑर्काइव की मदद से परिकल्पना को धरातल पर उतारेगा।

नेशनल ऑर्काइव से हो चुकी मीटिंग

मंत्रालय की ओर से अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में म्यूजियम निदेशक को पत्र भेजकर कुंभ मेला के इतिहास पर केन्द्रित मेगा एग्जीबिशन लगाने को कहा गया था। निर्देश मिलने के बाद निदेशक डॉ। सुनील कुमार गुप्ता की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल दस दिन पहले नेशनल ऑर्काइव पहुंचा। वहां वर्ष 1906 से लेकर वर्ष 1950 के बीच आयोजित हुए कुंभ मेला से संबंधित मैप, अंग्रेजी शासकों के लेटर, साधु-संन्यासियों के स्नान का तरीका सहित अन्य दुर्लभ चित्रों को प्रदर्शनी का हिस्सा बनाने पर चर्चा हुई।

परेड ग्राउंड पर लगेगी एग्जीबिशन

कुंभ मेला के दौरान 15 जनवरी से चार मार्च तक इलाहाबाद म्यूजियम द्वारा कुंभ के इतिहास पर केन्द्रित एग्जीबिशन लगायी जाएगी। इसके लिए म्यूजियम प्रशासन ने कुंभ मेलाधिकारी विजय किरण आनंद से परेड ग्राउंड में तीन एकड़ जमीन मांगी है। पिछले कुंभ में इसी स्थान पर लगी एग्जीबिशन में आजादी के बाद हुए कुंभ मेला के दुर्लभ चित्रों को ही प्रदर्शित किया गया था।

एग्जीबिशन की खासियत

इसमें वर्ष 1906 में हुए कुंभ मेला के दौरान अंग्रेजी शासकों ने संगम क्षेत्र में कैसी व्यवस्था की थी, टेंट कैसे लगाया गया था, शासक किस तरह से मेला की मानिटरिंग करते थे व संत-महात्मा कैसे संगम क्षेत्र पहुंचते थे इन सभी को शामिल किया जाएगा

इसकी पूरी सामग्री मैप व दस्तावेजों के रूप में नेशनल आक्राइव में मौजूद है। म्यूजियम नेशनल आक्राइव की मदद से उसे प्रदर्शित करेगा।

कुंभ मेला के दौरान सौ वर्ष पहले के इतिहास पर केन्द्रित प्रदर्शनी लगाने की तैयारी है। इसके लिए नेशनल ऑर्काइव के अफसरों से बातचीत हो चुकी है। पहले शाही स्नान पर्व से श्रद्धालुओं को यह जानने का मौका दिया जाएगा कि सौ वर्ष पहले किस तरह से मेला आयोजित किया जाता था।

डॉ। सुनील कुमार गुप्ता,

निदेशक इलाहाबाद म्यूजियम