-पीके फिल्म में उठाए गए मुद्दे को लेकर शुरू की मुहिम

-आई नेक्स्ट ने पीके की नजर से जानने की कोशिश की

DEHRADUN : 'पीके' हिंदी फिल्म। ज्यादातर लोग मूवी को देख चुके होंगे। फिल्म में तर्क व विवेक के आधार पर सवाल उठाए गए हैं। जाहिर है दून शहर में आस्था के नाम पर जो कुछ हो रहा है, उसे आई नेक्स्ट ने पीके की नजर से जानने की कोशिश की। टीम आई नेक्स्ट पहले दिन उन आम जगहों तक पहुंची, जहां आस्था के नाम पर कई नतमस्तक देखे जाते हैं। धर्म के कारोबारी विवेक व तर्क के जरिए जेबें मोटी कर रहे हैं। माना जाता है धर्म व ईश्वर मनुष्य को मजबूत बनाते हैं। यहां तक तो सब ठीक कहा जा सकता है, लेकिन इससे आगे देखिए, धर्म के कुछ ठेकेदार उनके पास पहुंचने वाले आम लोगों को इतना डरपोक बना देते हैं कि हर रोज उनकी दुकान चलती रहे। एक रिपोर्ट

ज्योतिष ने नहीं बताई पीके की राशि तक सही

पीके ने शुरुआत खुद के भाग्य से की। सोचा वह शहर के उन ज्योतिषों व हस्तरेखा देखने वाले के पास पहुंचे। जिनके पास हर रोज भाग्य का ताला खुलवाने वाले कई लोग पहुंचा करते हैं। पीके सबसे पहले दून हॉस्पिटल के ठीक सामने सड़क के किनारे बैठ बाबा के पास पहुंचा। पीके ने जमीन पर बैठकर ही बाबा से हाथ की लकीरें दिखाई। बाबा बोला, बेटा दक्षिणा (पैसा) चाहिए। पीके ने क्0 रुपए निकाले। फिर क्या बाबा शुरु हो गए भाग्य बदलने की जुगत में। बाबा को पीके ने बोला बेटा, तुम्हारे घर में किसी महिला ने कोई जादू-टोना किया है। तुम्हारी किस्मत इसीलिए नहीं खुल पा रही है। मेरे बताए कार्य तुम्हें करने होंगे। शादी, नौकरी, मकान और धन-संपत्ति सब कुछ तुम्हें मिलना शुरू हो जाएगा।

पीके ने तपाक से पूछा बाबा क्या उपाय करुं ?

बाबा बोला, बेटा तुम पांच साबूत मिर्च, कुछ चावल के दाने और भ्क् रुपए कागज पर बांधकर रात में अपने तकिया के नीचे डाल लेना। सुबह मेरे पास पहुंच जाना। उसके बाद मेरे बताए कुछ विधियों के हिसाब से पूजा सामग्री खरीदकर कार्य करने होंगे। सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी। कुल मिलाकर पहले दिन क्0 रुपए में पीके को बाबा ने किस्मत बदलने की तरकीब बता दी और आस्था के नाम पर अपना कमाई का भी जुगाड़ जारी रखा।

मोती, पन्ना खोल देगा किस्मत

पीके आगे बढ़ते गया। परेड ग्राउंड तिराहे के पास फुटपाथ पर बैठे ज्योतिष के पास पहुंचा। इस ज्योतिष ने नेम प्लेट पर हरिद्वार से आया ज्योतिषि लिखा हुआ था। यहां के ज्योतिषि ने पीके की हाथ व माथे की रेखाएं देखना शुरू की। कहा, आप चिड़चिड़े हो। खर्चे का अभाव, नौकरी की समस्या आपको सताती होंगी। कहा कि कन्या राशि के लिए आपको पन्ना पहनना होगा। जिसके लिए आपको ब्00-म्00 रुपए तक खर्च करने होंगे। पीके ने ज्योतिष को बोला, मेरी राशि कन्या नहीं कर्क है। उसके बाद ज्योतिष बोलने लगे, तो आपको मोती पहननी होगा। साफ है कि भाग्य बदलने की बात करने वाले ज्योतिष ुद नाम पर राशि ही नहीं बता पाए।

राहु काल में हस्त रेखाएं देखना मना है

इसके बाद पीके गांधी पार्क के सामने बैठने वाले ज्योतिषों व बाबाओं की ढूंढने निकला। एक ही ज्योतिषी नजर आया। पीके ने हाथ बढ़ाया, लेकिन ज्योतिष की तरफ से बताया कि अभी राहुकाल का वक्त है। पीके को कब हाथ की रेखाएं दिखाने के लिए आना होगा, ज्योतिष ने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया। दरअसल, इस ज्योतिष के पास हमारी एक टीम पहले ही पहुंच चुकी थी। ज्योतिष को पता चल गया था कि कुछ लोग उनकी पड़ताल कर रहे हैं। हड़बड़ाया ज्योतिष फिलहाल कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था। इसलिए वह पीके से बात नहीं करना चाह रहा था।

पीके को मिला 'रॉन्ग नंबर'

पीके के पहले दिन की पड़ताल में अब आपको अंदाजा लग गया होगा कि आस्था के नाम पर ठेकेदार क्या नहीं कर लेते। एक पीके, उसकी एक किस्मत और एक ही हाथ व माथे की रेखाएं। लेकिन बाबाओं व ज्योतिषों के जुदा तर्क। अब इसे क्या कहेंगे। कह सकते हैं कि पीके जिन तीनों पास पीके पहुंचा, उन सभी की 'रॉन्ग नंबर'।