- बीटेक छात्रों के सत्याग्रह का छठा दिन

-एकेयू ने कहा, दोबारा परीक्षा नहीं लेंगे

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क्कन्ञ्जहृन् :

प्रदेश के तीन हजार बीटेक छात्रों का भविष्य अधर में हैं। यह मामला एकेयू के इंजीनियरिंग कॉलेजों का है। दरअसल, इस कॉलेज के स्टूडेंट परीक्षा कराए जाने की मांग पर अडे़ हैं। उनका कहना है कि आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी के अंतर्गत संबंधित कॉलेज के छात्र पढ़ रहे हैं और तब परीक्षा नहीं होने देने का मामला अव्यवस्था को लेकर था न कि परीक्षा में नकल करने देने की छूट के लिए था। इस बारे में स्थिति स्पष्ट करते हुए इन छात्रों का प्रतिनिधित्व मो। गुलफराज कर रहे हैं। उन्होंने यह बताते हुए कहा कि स्थानीय स्तर पर कॉलेज में एग्जाम सेंटर को लेकर एकेयू के पदाधिकारी सभी बात जानते हैं। लेकिन वे लोगों को गलत जानकारी दे रहे हैं। इसके कारण ही यह मामला लगातार खींच रहा है और इसका हल नहीं निकल रहा है।

छह छात्रों की हालत बिगड़ गई

सत्याग्रह पर बैठे छात्रों में छह छात्रों की हालत बिगड़ गई है। जानकारी के मुताबिक इनमें श्रवण कुमार, गुरुचरण, नवीन कुमार और नवीन कुमार को पीएमसीएच भेजा गया जबकि दो छात्र नीतीश, राहुल को गर्दनीबाग हॉस्पिटल में एडमिट किया गया। देर शाम इन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।

लिखित आश्वासन झूठ था

इस बारे में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने बीटेक के उन पीडि़त छात्रों से मुलाकात की जो पांच दिनों से अनशन पर हैं। इसमें शामिल सीतामढ़ी के छात्र प्रकाश कुमार, मनीष कुमार और मनोज कुमार ने बताया कि एसडीएम की ओर से ओर से यह लिखित आश्वासन दिया गया था कि पांच जनवरी, 2020 को परीक्षा ली जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और अब न्याय की मांग को लेकर सभी अनशन पर बैठे हैं।

नहीं थमेगा अनशन

तकनीकी छात्र संगठन के राष्ट्रीय सलाहकार समिति सदस्य सत्येंद्र कुमार,सचिव विकाश गुप्ता प्रदेश मीडिया प्रभारी आनंद जी, ने कहा कि आमरण अनशन से सत्याग्रहियों की तबीयत लगातार बिगड़ते चली गई। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन एक बार भी छात्रों से वार्ता करने नही आया। जब तक मांगें पूरी नही हो जाती तब तक सत्याग्रह जारी रहेगा।

एकेयू ने कहा, यह गलत परंपरा

इस मामले पर एकेयू के प्रोवीसी डॉ एमएम करीम ने सत्याग्रह को उपद्रव की संज्ञा देते हुए कहा कि इससे पहले मेडिकल छात्रों ने भी ऐसा ही किया था। लेकिन फिर से परीक्षा आयोजित नहीं की गई। उन्होंने कहा कि एकेयू की पहचान एकेडमिक कैलेंडर के ससमय पालन करने और कदाचारमुक्त परीक्षा कराने की है। उन्होंने दो टूक कहा कि यह गलत मांग है। दोबारा परीक्षा नहीं होगी।