नई दिल्ली (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हैदराबाद में दुष्कर्म और फिर हत्‍या के मामले में हुआ तीन नाबालिग समेत चार आरोपितों का एन्‍काउन्‍टर फर्जी था। साथ ही आयोग ने सिफारिश की कि सभी 10 पुलिस अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे विचार में आरोपियों को जानबूझकर उनकी मौत का कारण बनाने के इरादे से गोली मारी गई है। साथ ही कहा कि ऐसी फायरिंग का परिणाम निश्चित रूप से मौत ही होगी। चीफ जस्टिस एन.वी. रमन की अध्यक्षता वाली बेंच शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान एक वकील की इस दलील से सहमत नहीं थी कि आयोग की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखा जाना चाहिए।

10 पुलिसकर्मियों पर हत्या का चलाया जाना चाहिए मुकदमा

रिपोर्ट में लिखा कि चार में से तीन नाबालिग थे। साथ ही कहा गया कि हमारी राय है कि उस समय पर, शिवा, नवीन और चिंताकुंटा चेन्नाकेशवुलु नाबालिग थे। आयोग ने मामले की जांच में चूक का हवाला दिया और कहा कि सभी 10 पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी आरोपियों को मारने के इरादे से गोली चलाई गई थी। नवंबर 2019 में 27 वर्षीय पशु चिकित्सक के साथ दुष्कर्म और हत्या के आरोप में चार आरोपियों मोहम्मद आरिफ, चिंताकुंटा चेन्नाकेशवुलु, जोलू शिवा और जोलू नवीन को इस सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। जिनकी बाद में उसी हाइवे के पास जहां महिला का जला हुआ शरीर मिला था, वहीं गोली मारकर हत्‍या कर दी गई थी।

2019 में मुठभेड़ का है मामला

शीर्ष अदालत ने दिसंबर 2019 में मुठभेड़ की परिस्थितियों की जांच करने के लिए आयोग का गठन किया और छह महीने में रिपोर्ट जमा करने को कहा। आयोग के अन्य सदस्यों में बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रेखा सोंदूर बलदोटा और सीबीआई के पूर्व निदेशक डी.आर. कार्तिकेयन शामिल है। पुलिस ने दावा किया है कि पहले महिला का अपहरण किया गया, जिसका बाद उसके साथ दुष्कर्म किया गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई।

National News inextlive from India News Desk