दून के सर्वे ऑफ इंडिया में ही प्रिंट हुई थी भारतीय संविधान की पहली प्रति

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एक दूनाइट्स होने के नाते शायद आपको जानकर गर्व होगा कि सालों की मेहनत से तैयार हुए भारतीय संविधान को दुनिया के सामने लाने का सबसे अहम काम देहरादून की धरती पर ही पूरा हुआ था। यहीं सर्वे ऑफ इंडिया की प्रिंटिंग प्रेस में भारतीय इतिहास के सबसे अहम दस्तावेज यानि संविधान की हस्तलिखित पांडुलिपि को पहली बार किताब की शक्ल में तैयार किया गया। संविधान की यह मूल प्रति भले ही दिल्ली के नेशनल आर्काइव में सुरक्षित हो, पर इसकी याद आज भी सर्वे ऑफ इंडिया के सर्वे चौक स्थित म्यूजियम में हर दूनाइट्स को उस गौरवमय लम्हे की याद दिला रही है।

अंदर के लिए हैडिंग---

दून की धरती पर ही मिली थी संविधान के ऐतिहासिक लम्हे को 'स्याही'

- संविधान सभा के हस्तलिखिति पांडुलिपि तैयार होने के बाद सर्वे ऑफ इंडिया को दी गई थी उसे प्रिंट करने की जिम्मेदारी

- पहली प्रिंटिड कॉपी पर किए थे संविधान सभा के अध्यक्ष डा। राजेंद्र प्रसाद, प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और डा। बीआर अंबेडकर समेत सभी सदस्यों ने हस्ताक्षर

- सर्वे ऑफ इंडिया ने सभा के सभी सदस्यों के हस्ताक्षरों के बाद ही प्रिंट करनी शुरू की थी इसके बाद की प्रतियां

kuldeep.panwar@inext.co.in

DEHRADUN : भारतीय गणतंत्र को आज म्भ् साल पूरे हो गए। इस दौरान देश ने न जाने कितने उतार-चढ़ाव झेले, पर गणतंत्र का झंडा हमेशा बुलंद रहा। इसका सबसे बड़ा कारण था, हमारे देश के विद्वान लोगों की कई साल की कवायद के बाद तैयार हुआ संविधान। एक ऐसा संविधान, जिसमें देश के सामने आने वाली तात्कालिक ही नहीं, भविष्य की समस्याओं का भी समाधान विद्वानों की उस टोली ने तैयार किया था। इस संविधान को तैयार करने की कवायद के बाद इसे दुनिया के सामने लाने का अहम काम दून की धरती पर अंजाम दिया गया। पूरे व‌र्ल्ड में नक्शे तैयार करने के लिए फेमस सर्वे ऑफ इंडिया का वैसे तो खुद ही ऐतिहासिक महत्व है, पर यह उससे भी महत्वपूर्ण है कि इसी डिपार्टमेंट ने दून स्थित अपनी प्रिंटिंग प्रेस में देश को संविधान की पहली प्रति प्रिंट कर भेंट करने का काम भी अंजाम दिया था।

9 दिसंबर को शुरू हुई थी कवायद

पहली बार भारतीय संविधान तैयार करने की कवायद वर्ष क्9ब्म् के जुलाई-अगस्त में संविधान सभा के गठन के लिए हुए चुनावों के साथ शुरू हुई थी। 9 दिसंबर, क्9ब्म् को इस संविधान सभा ने पहली बार आपस में चर्चा के लिए बैठक की और इसी के साथ शुरुआत हुई भारत के स्वतंत्र होकर गणतंत्र बनने के ऐतिहासिक मूवमेंट की। पहले दो दिन डा। सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में चली सभा ने अंत में डा। राजेंद्र प्रसाद को सर्वसम्मति से अपना अध्यक्ष चुना।

ख्ब् जनवरी, क्9भ्0 को सामने आई थी पहली प्रति

डा। भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली ड्राफ्टिंग कमेटी को ख्9 अगस्त, क्9ब्7 को संविधान का ड्राफ्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई। इस कमेटी ने ब् नवंबर, क्9ब्7 को यह ड्राफ्ट संविधान सभा के सामने सबमिट किया। इसके बाद ख्म् नवंबर, क्9ब्9 को संविधान सभा ने देश को संविधान समर्पित करने की औपचारिकता पूरी की। हाथ से लिखी गई संविधान की इस पांडुलिपि को प्रिंट कर किताब की शक्ल में देश के सामने लाना अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती मानी गई और इसकी जिम्मेदारी दी गई सर्वे ऑफ इंडिया को। सर्वे ऑफ इंडिया की देहरादून स्थित प्रिंटिंग प्रेस में लगभग दो महीने लंबी कवायद के बाद प्रिंट होकर निकली संविधान की पहली प्रति पर ख्ब् जनवरी, क्9भ्0 को संविधान सभा के सभी सदस्यों ने अपने हस्ताक्षर कर इसे देश के सामने पेश किया और दो दिन बाद ख्म् जनवरी, क्9भ्0 को इसे भारतीय जनता के लिए सार्वजनिक करते हुए देश के पहले गणतंत्र दिवस की घोषणा की गई।

स्याही, प्रिंटिंग पर हुई थी लंबी कवायद

सर्वे ऑफ इंडिया को संविधान की पहली प्रति प्रिंट करने की जिम्मेदारी मिलने के बाद ही इससे जुड़ी कवायद खत्म नहीं हो गई थी। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इसके लिए आजादी के बाद बने देश के पहले सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया के निर्देशन में इस डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने भी कड़ी मेहनत की। यह मेहनत थी संविधान की प्रति के लिए सही तरह की स्याही जुटाने से लेकर सही कागज चुनना, इसी कवायद में प्रिंटिंग के लिए दो माह का लंबा समय लिया गया।

ब्रिटिश अधिकारियों ने प्रिंट किया था पहला संविधान

किसी भी भारतीय के लिए शायद यह बहुत बड़ा आश्चर्य का विषय हो सकता है कि देश के संविधान का पहला प्रिंट तैयार करने में जितना योगदान सर्वे ऑफ इंडिया के भारतीय अधिकारियों का था, उतना ही योगदान उस समय इस डिपार्टमेंट में काम कर रहे ब्रिटिश अधिकारियों ने भी दिया। खुद तत्कालीन सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया भी ब्रिटिश ही थे, जिनका नाम जॉर्ज फ्रैड्रिक हैनी था।

सर्वे म्यूजियम में है पहली प्रति की याद

सर्वे चौक स्थित सर्वे ऑफ इंडिया के म्यूजियम में घुसते ही आपको देश में अक्षांशों और कोण खींचने के पूरे इतिहास और इससे जुड़ी यादों की भरमार देखने को मिलती है। देश में पहली बार हुए सर्वे से जुड़े उपकरणों के बीच ही संरक्षित हैं भारतीय संविधान की पहली प्रति से जुड़ी याद यानि उसकी एक प्रति। भारतीय संविधान की पहली प्रिंटिंग कॉपी इस समय दिल्ली स्थित नेशनल आर्काइव में राष्ट्रीय धरोहर के रूप में संरक्षित है, लेकिन ठीक उसी तरह की दूसरी कॉपी सर्वे म्यूजियम में आने वालों को उस लम्हे की याद दिलाती है।

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आजादी के बाद का पहला नक्शा भी सर्वे ने दिया

सर्वे ऑफ इंडिया के ऐतिहासिक कारनामों की लिस्ट वैसे तो बहुत लंबी है, लेकिन इसकी एक और खास बात गणतंत्र दिवस के मौके पर आपको लुभा सकती है। वो है देश को आजादी के बाद पहला नक्शा देने का काम। जी हां, सर्वे ऑफ इंडिया ने ही देश की आजादी के बाद नक्शे पर भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन की रेखा खींचने के महत्वपूर्ण काम को अंजाम दिया था। आजादी के बाद तैयार हुआ यह पहला नक्शा भी दिल्ली स्थित नेशनल आर्काइव में संरक्षित किया गया है।

ख्8 फरवरी को देख सकते हैं सर्वे का इतिहास

वैसे तो सर्वे ऑफ इंडिया का म्यूजियम बेहद सेंसटिव जोन होने के नाते किसी भी बाहरी आदमी के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र की श्रेणी में आता है, लेकिन भारत में नक्शों की दुनिया से जुड़े इतिहास और उपकरणों की एक झलक साल में एक दिन हर किसी को देखने को मिलती है। यह मौका होता है साइंस डे यानि ख्8 फरवरी का। इस दिन यह म्यूजियम हर आम आदमी के लिए खुला होता है।

भारतीय संविधान से जुड़े कुछ खास तथ्य

- 9 दिसंबर, क्9ब्म् को हुई थी संविधान सभा की पहली बैठक

- ख्9 अगस्त, क्9ब्7 को संविधान का पहला ड्राफ्ट तैयार करने की कवायद शुरू हुई

- 0ब् नवंबर, क्9ब्7 को ड्राफ्ट कमेटी ने संविधान का ड्राफ्ट सौंपा

- क्म्म् दिन तक संविधान सभा ने आम आदमी को इस ड्राफ्ट पर अपनी दलीलें रखने का मौका दिया

- ख्000 संशोधन मूल ड्राफ्ट में संविधान सभा ने इस दौरान आई दलीलों के आधार पर आपस में चर्चा के जरिए किए

- ख्म् नवंबर, क्9ब्9 को संविधान का फाइनल ड्राफ्ट प्रिंट करने के लिए संविधान सभा की तरफ से सौंपा गया

- मूल ड्राफ्ट सौंपने के ख् साल क्क् महीने और क्8 दिन बाद ख्ब् जनवरी, क्9भ्0 को संविधान सभा के सामने इसकी पहली प्रिंटिड प्रतिलिपि पेश की गई

- फ्08 सदस्यों ने संविधान सभा के प्रतिनिधि के रूप में इस प्रिंटिड प्रतिलिपि पर हस्ताक्षर करते हुए इसे देश के संविधान के रूप में मान्यता दी

- क्,00,00,000 रुपये का खर्च इस दौरान संविधान को तैयार करने के लिए हुई कवायद में किया गया

- ख्म् जनवरी, क्9भ्0 को यह संविधान देश को समर्पित करते हुए भारतीय गणतंत्र की शुरुआत की गई

भारतीय संविधान को प्रिंट करना बेहद सम्मान का काम था और इसे प्रिंट करने की जिम्मेदारी सर्वे ऑफ इंडिया को इसलिए दी गई थी, क्योंकि हमारे डिपार्टमेंट के पास ही ऐसे ऐतिहासिक दस्तावेज को प्रिंट करने लायक अनुभव और अच्छी मशीनें थीं।

- एमसी गौड़, असिस्टेंट सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया