- फोर्थ क्लास में औसतन हर दिन स्टूडेंट्स ले जाते हैं 18 से 20 किताबें

- इस सेशन में सीबीएसई और सीआईएससीई में फोर्थ क्लास में औसतन 40 से अधिक चीजें स्टेशनरी में

- जिसका कुल वजन 32 किलो के आसपास रहा

LUCKNOW : राजधानी के बड़े और नामचीन स्कूलों के छोटे-छोटे बच्चे आपको पीठ पर 10 से 12 किलो तक के स्कूल बैग लादे मिल जाएंगे। उनके इस वजनी स्कूली बैग को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं, लेकिन इसे कम करने के लिए कोई कवायद नहीं होती है। मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से पहली बार क्लास फ‌र्स्ट से हाईस्कूल तक बैग का वजन तय कर दिया गया है। वहीं दूसरी ओर अगर मौजूदा समय की बात करें तो सबसे ज्यादा प्राइमरी सेक्शन में किताबों का बोझ मासूम उठाने के लिए मजबूर हैं। एक सर्वे के मुताबिक 5 से 12 साल तक के 82 प्रतिशत स्टूडेंट्स अपने वजन के 35 प्रतिशत के बराबर या इससे ज्यादा वजन वाला स्कूल बैग पीठ पर लादते हैं।

नियम से ज्यादा किताबें ले जा रहे स्टूडेंट्स

सीबीएसई बोर्ड के सर्कुलर के अनुसार स्कूलों में पहली और दूसरी क्लास के बच्चों के लिए छह से लेकर नौ किताबें उनके सिलेबस में शामिल की गई हैं। वहीं कई स्कूलों में 12 किताबें तक सिलेबस में शामिल की गई हैं जबकि सीबीएसई ने दोनों ही क्लासेज में तीन-तीन किताबें शामिल करने की अनुमति दी है। बोर्ड ने 2007 में सर्कुलर में यह बात कही भी थी, लेकिन कोई भी स्कूल इसे नहीं मानते हैं। राजधानी में स्कूलों ने हर क्लास के अनुसार किताबों की संख्या निर्धारित कर रखी है जबकि बोर्ड के सर्कुलर के अनुसार पहली और दूसरी क्लास के लिए 3-3 किताबें निर्धारित हैं। तीसरी और चौथी के लिए 4-4, 5वीं के लिए 6, छठीं और सातवीं के लिए 10 और आठवीं के लिए 13 किताबों की लिस्ट जारी की गई है। वहीं राजधानी में हर स्कूल में अपने अनुसार किताबों की लिस्ट बनाई गई है। मौजूदा समय में राजधानी के बड़े स्कूलों में पहली और दूसरी क्लास में में 6 से 12 किताबें तक हैं जबकि तीसरी में 8 से लेकर 16, चौथी में 11 से 21, पांचवीं में 8 से 16, छठीं में 9 से 20, सातवीं और आठवीं में 11 से 20 तक किताबें लगाई गई हैं। इन किताबों के अलावा ड्राइंग और क्राफ्ट के लिए तीन-तीन बुक्स, मोरल साइंस और इनवॉयरमेंट की दो-दो किताबें अलग से पढ़ाई जा रही हैं।

फोर्थ क्लास का बैग सबसे ज्यादा भारी

राजधानी के शिक्षकों की मानें तो सबसे ज्यादा फोर्थ क्लास का बैग भारी होता है। शिक्षकों का कहना है कि फोर्थ क्लास से बच्चों का मैथ्स और साइंस जैसे विषयों पर फोकस बढ़ाया जाता है। साथ ही इसी क्लास से स्टूडेंट्स को मोरल साइंस, इनवॉयरमेंटल स्टडीज के अलावा दूसरी कई किताबें कोर्स के अलावा शुरू कराई जाती हैं, जिसे बच्चों का बेस मजबूत बन सके। बीते साल फोर्थ क्लास में सभी बुक्स, कॉपियां, ड्राइंग, क्राफ्ट और दूसरी चीजों को मिलाकर करीब 40 चीजें स्टेशनरी के साथ बेच गई थीं, जिनका कुल वजन करीब 32 किलो के आसपास था। वहीं पांचवीं के बाद से औसतन वजन 22 से 28 किलो के बीच में रहा था।

सालभर में पिकअप ट्रक के बराबर उठाते हैं वजन

बच्चे स्कूल बैग के बोझ तले दबे जा रहे हैं। चिल्ड्रन स्कूल बैग एक्ट 2006 के मुताबिक स्कूल जाने वाले किसी भी स्टूडेंट के बैग का वजन उसके शरीर के भार का 10 प्रतिशत या उससे कम होना चाहिए। हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। पांचवीं क्लास तक के बच्चे 10 किलो तक वजनी बैग उठा रहे हैं, जिनका खुद का वजन बामुश्किल 20 से 25 किलो है। शिक्षा विभाग के अनुसार औसतन साल में 200 दिन स्कूल खुलते हैं। स्कूल जाने और वापस आने के दौरान, जो वजन बच्चे अपने कंधों पर उठाते हैं अगर उसे आधार मानकर गणना की जाए तो बच्चा सालभर में 4000 किलो वजन उठा लेता है। यह एक पिकअप ट्रक के बराबर है।

बॉक्स

औसतन हर क्लास में प्रतिदिन इतनी किताब और कॉपियां ले जाते हैं स्टूडेंट्स

500 ग्राम वजन एक किताब का

- एक बैग में 7 से 8 किताबें होती हैं

250 ग्राम वजन एक कॉपी का

- एक स्टूडेंट्स 8 कॉपियां ले जाता है

- 01 किलो वजन होमवर्क कॉपी, ड्राइंग कॉपी और स्कूल डायरी का

- 800 ग्राम वजन पेंसिल बॉक्स, ज्योमेट्री बॉक्स, स्केच कलर आदि

- 400 ग्राम लंच बॉक्स का वजन

- 900 ग्राम पानी की बॉटल का वजन

कोट

स्कूलों के सिलेबस को निर्धारित करना और लागू कराना बोर्ड की जिम्मेदारी है, टाइमटेबल तक स्कूल खुद तय करते हैं। हम अपने स्तर से केवल शिकायतें आने पर कार्रवाई कर सकते हैं।

डॉ। सुरेंद्र तिवारी, जेडी माध्यमिक, लखनऊ