-आखिर किस आधार पर जनहित में है तबादला

- बांदा मेडिकल कालेज की वर्तमान स्थिति से अवगत कराने के लिए भी कहा

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KANPUR। मेडिकल कॉलेज की मेडिसिन विभाग की प्रोफेसर व आईएमए की पूर्व अध्यक्ष डॉ। आरती लाल चंदानी के बांदा तबादले पर हाई कोर्ट ने शासन से स्पष्टीकरण मांगा है। डॉ। चंदानी के तबादले को किस आधार पर जनहित कहा गया, इस पर जवाब मांगा है। वहीं बांदा मेडिकल कालेज की वर्तमान दशा से भी अवगत कराने के लिए कहा है।

ख्फ् जनवरी को दाखिल हुई थी रिट

बताते चलें कि मेडिकल कॉलेज में हुए बवाल के बाद शासन ने पिछले दिनों डॉ। आरती लाल चंदानी का बांदा मेडिकल कालेज में ट्रांसफर कर दिया था। बांदा मेडिकल कालेज ट्रांसफर किए जाने पर डॉ। आरती लाल चंदानी ने नाराजगी जताते हुए इसे शासन के किसी करीबी की करतूत बताया था। डॉ। चंदानी के वकील संतोष वाजपेयी ने बताया कि ख्फ् जनवरी ख्0क्भ् को हाई कोर्ट में तबादले को दुर्भावना पूर्ण कार्रवाई बताते हुए रिट दाखिल की गई थी। जिस पर बुधवार को पहली सुनवाई हुई।

किस आधार पर तबादला जनहित में

हाईकोर्ट में जस्टिस दिलीप गुप्ता व नारायण शुक्ला की बेंच में सुनवाई हुई। जिसमें माननीय कोर्ट ने विशेष सचिव स्वास्थ एवं शिक्षा व निदेशक स्वास्थ एवं चिकित्सा शिक्षा से डॉ। चंदानी के तबादले पर स्पष्टीकरण मांगा है कि किस आधार पर डॉ। चंदानी का तबादला जनहित में है। वहीं ये भी जवाब मांगा है कि बांदा मेडिकल कॉलेज की वर्तमान में स्थिति क्या है। ख् फरवरी को जवाब दाखिल करना है।

कैसे दिया एक्टिव चार्ज का आदेश

सीनियर एडवोकेट संतोष वाजपेयी ने बताया कि शासन ने डॉ। आरती लाल चंदानी को बांदा मेडिकल कॉलेज ट्रांसफर कर प्रिसिंपल पद पर एक्टिव चार्ज का आदेश दिया है। जबकि बांदा मेडिकल कालेज अभी निर्माणाधीन है। वहां पर अभी भी कई चीजें शुरू होनी है। ऐसी स्थिति में भला एक्टिव चार्ज का आदेश किस आधार पर दिया गया। ये एक सोचने वाली बात है।

आखिर कहां है डॉ। चंदानी की जरूरत

मेडिकल कॉलेज की मेडिसिन विभाग की प्रोफेसर डॉ। आरती लाल चंदानी के अंडर में फ्8 स्टूडेंट पीजी कर रहे हैं। वहीं करीब क्000 स्टूडेंट उनसे शिक्षा प्राप्त करते हैं। ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर डॉ। आरती लाल चंदानी की जरूरत कहां पर है। कानपुर मेडिकल कॉलेज में या बांदा मेडिकल कॉलेज में, जो कि अभी ठीक से शुरू भी नहीं हो पाया है। एडवोकेट संतोष वाजपेयी ने बताया कि डॉ। चंदानी का तबादला शासन ने गलत मंशा से किया है।