- एसजीपीजीआई में अफगानिस्तान से आए थ्री चैंबर्ड हार्ट बेबी का सफल ऑपरेशन

LUCKNOW:

संजय गांधी पीजीआई के सीवीटीएस डिपार्टमेंट के डॉ। निर्मल गुप्ता और उनकी टीम ने अफगानिस्तान से आए 16 माह के बच्चे की सफल सर्जरी की। इस बच्चे के दिल का दायां हिस्सा नहीं बना था। बच्चा ट्राईकसपिड एट्रेसिया नामक पैदायशी बीमारी से जूझ रहा था। इस बीमारी की समय से सर्जरी न कराने पर आधे बच्चों की मौत दो साल के अंदर हो जाती है।

दिल में सिर्फ तीन चैंबर

कार्डियोवैसकुलर एंड थोरेसिक सर्जरी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ। निर्मल गुप्ता ने बताया कि अफगानिस्तान से आए नशीउल्लाह (16 माह) के हार्ट में चार की बजाए तीन ही चैंबर थे। जिसके कारण हार्ट शरीर से आने वाले 2ाून को फेफड़ों में नहीं 5ोज पा रहा था। यह बहुत जटिल और रेयर बीमारी है, जिसमें 50 फीसद बच्चे दो साल की उम्र तक 5ाी नहीं जी पाते हैं।

सात घंटे चली सर्जरी

डॉ। निर्मल गुप्ता ने बताया कि मरीज की जान बचाने के लिए सात घंटे की रेयर सर्जरी दो स्टेप में की गई। पहले 4लड को फेफड़ों में पहुंचाने के लिए नली बनाई गई और फिर बॉडी में पंप करने वाले चैंबर के लिए बने गलत छेद को बंद किया गया। सर्जरी के 24 घंटे बाद पेशेंट की हालत ठीक है।

30 हजार में एक को प्रॉ4लम

डॉ। निर्मल ने बताया कि ऐसी बीमारी लग5ाग 30 हजार में से एक बच्चे को होती है। इसमें बच्चा नीला पैदा होता है। डा1टर्स, पैरेंट्स और अन्य केयर करने वालों को अलर्ट रहने की जरूरत है ताकि बीमारी का जन्म के समय ही पता चल जाए। 5ारत में 5ाी बहुत से बच्चों को यह समस्या आती है।

तीन माह में सर्जरी जरूरी

डा1टर्स ने बताया कि इस बीमारी से पीडि़त बच्चों की जन्म के एक से तीन माह के अंदर सर्जरी जरूरी है। सर्जरी के बाद इस तरह के बच्चों में काफी सुधार दे2ा जाता है। इसकी सफलता दर अधिक है। इको जांच से इस बीमारी की पहचान की जा सकती है।

इस टीम ने की सर्जरी

सीटीवीएस से डॉ। निर्मल गुप्ता, डॉ। सुपक्ष, डॉ। नीलम, डॉ। राजकुमार यादव, डॉ। पुनीत गोयल व डॉ। अंकिता।

नहीं मिलती है मदद

बहुत से लोग ट्रीटमेंट महंगा होने से बच्चों की सर्जरी नहीं करा पाते हैं। केंद्र की ओर से बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है लेकिन एसजीपीजीआई को इससे 5ाी हेल्प नहीं मिलती।

अफगान प्रेसीडेंट ने दी बधाई

डॉ। निर्मला गुप्ता के पास पिछले पांच सालों के दौरान केवल अफगानिस्तान से ही पांच बच्चे आए, जिनका उन्होंने सफल ऑपरेशन किया। उनकी इस उपल4िध पर अफगान प्रेसीडेंट 5ाी उन्हें फोन कर बधाई दे चुके हैं।

इंटरप्रेटर की मदद से इलाज

अफगानिस्तान से आए लोगों की 5ाषा समझना पीजीआई के डॉ1टर्स के लिए चुनौती है। इसके लिए वह दिल्ली के एक इंटरप्रेटर की मदद लेते हैं। उसी की सहायता से पेशेंट और उसके साथ आए लोगों से बातचीत की जाती है।